हम हिंसक इतिहास से कब उबरेंगे ?
हम यानी मानव समाज . वह चाहे किसी भी धर्म से हो .
लगभग सभी धर्मों के मनुष्य हिंसक अतीत से पीड़ित रहे हैं . और वर्तमान भी भयानक रूप से हिंसक दौर का है . इस धरती में व्यापाक रूप से व्याप्त हिंसा को रोकने में सभी धर्मों के सारे ईश्वर लगभग असफल हो चुके हैं . अहिंसा के पुजारी गाँधी जी खुद हिंसा का शिकार हो गए ,ईसा मसीह को सूली पर टांग दिया गया . और भी जिसने भी अहिंसा की बात कही वह खुद हिंसा का शिकार हुआ या हिंसक शासकों के निशाने पर रहा .
हिंसा तो अंतिम व्यवहार है। चरम की परिणति .
हिंसक बनाने वाले हिंसा करने वाले से कहीं ज्यादा खतरनाक है .
हम आज धरती बचाने की बात कर रहे हैं . उससे पहले प्राणियों के प्राणों का संकट परमाणु हथियारों के रूप में सामने खड़ा है। हम सब हथियारों के दायरे में हैं .
इसलिए दुनियां के नागरिको पहले इस धरती पर रहने वाले प्राणियों को बचाने के लिए सोचो .
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें