धूप कहना चाह रही थी कि मैं धूप हूँ । और तुम छांह ढूंढ़ लो ।
लेकिन शब्द नहीं मान रहे थे । वे निकल पड़े चरवाहों के साथ । शब्द धूप में तपना चाहते थे ,वे सारी गर्मी/सारा तेज सोख लेना चाहते थे अपने भीतर , शब्द मेरी आंखों को देना चाहते थे तेज
दिन में सोच रहा था कि आज शाम को काफी लिखूंगा लेकिन खाना खाते ही पलकें भारी लगाने लगी । और ज्यादा देर तक कंप्यूटर पर बैठना नहीं हो सकेगा ।
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
विश्व में युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहे। रूस - यूक्रेन/नाटो , हमास - इज़राइल , हिज़्बुल्ला - इज़राईल, ईरान -इज़राईल के सर्वनाशी युद्धों के...
-
आज बुरी तरह थक गया हूँ । या बुखार आने वाला है । लेकिन सोऊंगा तो ब्लॉग लिखकर ही । कल मैंने लिखा था कि किसान को आर्थिक सुरक्षा देनी होगी । तभी...
-
महंगाई भले ही अरबपति मुख्यमंत्रियों /करोडपति मंत्रियों /उद्योगपतियों /नौकरशाहों /बड़े व्यापारियों के लिए कोई मायने नहीं रखती हो लेकिन बेरोज...
-
बारिश की कमी से किसानों की परेशानी साफ़ दिखने लगी है. यानि फसल तो प्रभावित होगी ही साथ ही पानी की भी किल्लत बनी रहेगी। किसान यानि पहाड़ी ग्...