सोमवार, 28 सितंबर 2009

धूप में शब्द

धूप कहना चाह रही थी कि मैं धूप हूँ । और तुम छांह ढूंढ़ लो ।
लेकिन शब्द नहीं मान रहे थे । वे निकल पड़े चरवाहों के साथ । शब्द धूप में तपना चाहते थे ,वे सारी गर्मी/सारा तेज सोख लेना चाहते थे अपने भीतर , शब्द मेरी आंखों को देना चाहते थे तेज
दिन में सोच रहा था कि आज शाम को काफी लिखूंगा लेकिन खाना खाते ही पलकें भारी लगाने लगी । और ज्यादा देर तक कंप्यूटर पर बैठना नहीं हो सकेगा ।

  विश्व में युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहे।  रूस - यूक्रेन/नाटो  , हमास -  इज़राइल , हिज़्बुल्ला - इज़राईल, ईरान -इज़राईल  के सर्वनाशी युद्धों के...