कई दिन हो गए अपने ब्लॉग पर नहीं बैठे .लगा कि कुछ छूट गया । दिन में कई तरह के विचार आते जिन्हें तुरंत नोट कर लेना चाहिए था लेकिन जो छूट गया वो छूट गया । उसे उसी रूप में सहेजना फिर बहुत मुश्किल होता है । जैसे हम कई बार धूप से इतने प्रभावित हो जाते हैं कि कि धूपको लिखना चाहते हैं लेकिन शाम को धूप नहीं लिखी जा सकती । अनुभव में बहुत कुछ बयां करना छूट जाता या फिर कुछ बनावटी सा बन पड़ता है ।
सोचता हूँ कि जो निकल गया उसे छोड़ दूँ लेकिन फिर भी कुछ न कुछ यादों में सिमटा रहता है और उसे लिखे बगैर चैन नहीं ।
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
विश्व में युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहे। रूस - यूक्रेन/नाटो , हमास - इज़राइल , हिज़्बुल्ला - इज़राईल, ईरान -इज़राईल के सर्वनाशी युद्धों के...
-
आज बुरी तरह थक गया हूँ । या बुखार आने वाला है । लेकिन सोऊंगा तो ब्लॉग लिखकर ही । कल मैंने लिखा था कि किसान को आर्थिक सुरक्षा देनी होगी । तभी...
-
महंगाई भले ही अरबपति मुख्यमंत्रियों /करोडपति मंत्रियों /उद्योगपतियों /नौकरशाहों /बड़े व्यापारियों के लिए कोई मायने नहीं रखती हो लेकिन बेरोज...
-
बारिश की कमी से किसानों की परेशानी साफ़ दिखने लगी है. यानि फसल तो प्रभावित होगी ही साथ ही पानी की भी किल्लत बनी रहेगी। किसान यानि पहाड़ी ग्...