गुरुवार, 4 अप्रैल 2013

 गौरैये की चहचाहट  से नीद खुली , बाहर  देखा ,सुबह बहुत ही मन भावन  थी , 
पिछली वारिश से ठण्ड लौट आयी है . और मौसम का सुहानापन भी . लग ही नहीं रहा है क़ि अप्रैल आ गया है .
यदि इसी प्रकार मौसम बना रहा तो जंगलों में आग लगने की घटनाओं  में थोडा कमी होगी .
और गधेरों में  पानी बना रहेगा .मनुष्यों और जंगली जानवरों के लिए पानी की परेशानी नहीं होगी .
जंगलों में नए पौंधों को पनपने का अवसर मिलेगा .वर्ना हर साल लगने वाली  आग से नए पौंधों को पनपने का अवसर नहीं मिल पा  रहा था . और  जंगलों का विकास रुक गया था . महत्वपूर्ण जड़ी बूटियों का अस्तित्व खतरे में पड़  गया था .
इस साल की बारिश की निरंतरता ने लोगों में उम्मीद जगा दी है .

  विश्व में युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहे।  रूस - यूक्रेन/नाटो  , हमास -  इज़राइल , हिज़्बुल्ला - इज़राईल, ईरान -इज़राईल  के सर्वनाशी युद्धों के...