बुधवार, 7 अक्टूबर 2009
बर्षा चक्र
आज बुरी तरह थक गया हूँ । या बुखार आने वाला है । लेकिन सोऊंगा तो ब्लॉग लिखकर ही । कल मैंने लिखा था कि किसान को आर्थिक सुरक्षा देनी होगी । तभी वह अपनी खेती को बढ़ाने या खेती पर अपनी निर्भरता को मजबूत करेगा । पहाडों में खेती पर तो किसान जिंदा नहीं रह सकता । यहाँ जहाँ पर खेती बर्षा पर निर्भर है वहां परम्परागत बुआई में या फसल चक्र में परिवर्तन के साथ -साथ समय चक्र में भी परिवर्तन की आवश्यकता है क्योंकि पिछले कुछ बर्षों से यह देखने में आ रहा है कि बारिश का समय एक-डेढ़ माह आगे खिसक गया है यानी जो बारिश जुलाई -अगस्त में होती थी वह बारिश सितम्बर अक्टूबर में होने लगी है। इससे फसल का उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है । और हर साल सूखे की स्थिति उत्पन्न हो रही है । और किसानों में हर साल एक निराशा घर कर जाती है। मैंने कई जगह देखा है कि वहां किसान वारिश होने के बाद ही बोआई करते हैं और बर्षा चक्र के साथ चलने के कारण अच्छी फसल प्राप्त करते हैं ।
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
विश्व में युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहे। रूस - यूक्रेन/नाटो , हमास - इज़राइल , हिज़्बुल्ला - इज़राईल, ईरान -इज़राईल के सर्वनाशी युद्धों के...
-
आज बुरी तरह थक गया हूँ । या बुखार आने वाला है । लेकिन सोऊंगा तो ब्लॉग लिखकर ही । कल मैंने लिखा था कि किसान को आर्थिक सुरक्षा देनी होगी । तभी...
-
महंगाई भले ही अरबपति मुख्यमंत्रियों /करोडपति मंत्रियों /उद्योगपतियों /नौकरशाहों /बड़े व्यापारियों के लिए कोई मायने नहीं रखती हो लेकिन बेरोज...
-
बारिश की कमी से किसानों की परेशानी साफ़ दिखने लगी है. यानि फसल तो प्रभावित होगी ही साथ ही पानी की भी किल्लत बनी रहेगी। किसान यानि पहाड़ी ग्...