सोमवार, 20 जून 2011

साँसों में सुगंध

सुबह काफी देर फूलों और पत्तियों के रंगों में खोया रहता हूँ कोशिश करता हूँ कि यह रंग और सुगंध मेरी कविताओं में आ जाय ।या मेरी प्रेमिका की सांसों में . फिर खेतों की तरफ देखता हूँ ।
आजकल खेतों में मेला- सा लगा हुआ है । कोई गुड़ाई में व्यस्त है तो कोई रोपाई में । जमीन में हरे रंग के छींट की चादर बिछने लगी है । किसान सपने बो रहे हैं , सपनों की रोपाई कर रहे हैं ।
बारिश इस रंग में आनंद का एक और रंग घोल रही है ।
खेतों में भीगने का आनंद ।
तन के साथ साथ मन के भीगने का आनंद । बादलों के साथ -साथ घूमने का आनंद . बादलों के बीच सांस लेने का आनंद ।
लगता है कि इस मौसम में पेड़ -पशु- पक्षी -कीट -पतंगे सब एक अनूठे आनंद का अनुभव लेते हैं । एक नई उर्जा अपने भीतर जमा करते हैं .

  विश्व में युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहे।  रूस - यूक्रेन/नाटो  , हमास -  इज़राइल , हिज़्बुल्ला - इज़राईल, ईरान -इज़राईल  के सर्वनाशी युद्धों के...