बुधवार, 30 सितंबर 2009

याद नहीं स्वप्न

रात जो स्वप्न देखे वे पूरे याद नहीं रहे । आधे -अधूरे । जिनसे कोई संकेत नहीं पकडा जा सकता । आजकल मन्दिर का काम देख रहा हूँ तो सपने भी मन्दिर से ही सम्बंधित हो रहे हैं । लेकिनगावं मैं होने वाली भावी घटनाओं से उनका कुछ न कुछ संकेत तो है ही ।
दिन में घरेलू काम से फुर्सत मिलाने के बाद आफिस में बैठकर संस्था का काम देखा ।कल के लिए कार्यक्रम की रूप रेखा तय की ।

  विश्व में युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहे।  रूस - यूक्रेन/नाटो  , हमास -  इज़राइल , हिज़्बुल्ला - इज़राईल, ईरान -इज़राईल  के सर्वनाशी युद्धों के...