रात जो स्वप्न देखे वे पूरे याद नहीं रहे । आधे -अधूरे । जिनसे कोई संकेत नहीं पकडा जा सकता । आजकल मन्दिर का काम देख रहा हूँ तो सपने भी मन्दिर से ही सम्बंधित हो रहे हैं । लेकिनगावं मैं होने वाली भावी घटनाओं से उनका कुछ न कुछ संकेत तो है ही ।
दिन में घरेलू काम से फुर्सत मिलाने के बाद आफिस में बैठकर संस्था का काम देखा ।कल के लिए कार्यक्रम की रूप रेखा तय की ।
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