नमस्कार ,
मित्रो उत्तराखण्ड में हाल के दिनों में जो राजनैतिक अस्थिरता हुई वह जन हितों के लिए दुर्भाग्य पूर्ण है। राजनीति निजी स्वार्थों का अड्डा बन गई है और जन हितों के मूल उद्देश्य गायब हैं ,ऐसी स्थिति में जनता निश्चय ही नए विकल्पों की तलाश करेगी। असहमतियां विधान सभा के पटल पर पहले कभी नहीं आई ,क्यों? लोकतंत्र बाधित हुआ यह सब अचानक तो नहीं हुआ होगा, भीतर द्वन्द यदि नैतिक या लोक हितों के लिए होता तो वह पुरजोर विरोध के साथ विधान सभा गूंजता। सरकार में यदि गलत हो रहा था तो वह विधान सभा में गूंजता , सड़क पर गूंजता .आखिर इस तरह की अस्थिरता पैदा कर जनता और लोकतंत्र और लोकतंत्र के साथ मजाक हुआ है. सरकार कोई भी बने मजाक तो लोक तंत्र का ही बना.