आज सुबह टी वी पर कामन वेल्थ खेलों का संगीत देखा , बेहद शर्मनाक प्रस्तुति थी ।भारतीय शास्त्रीय संगीत के सन्दर्भ में तथा भारतीय शास्त्रीय नृत्य के सन्दर्भ में बेहद निराशाजनक स्थिति लगी । भारतीय संस्कृति तथा सैकड़ों क्षेत्रीय संस्कृतियों के इस देश में क्या परोसने के लिए कुछ नहीं था । रहमान साहब को क्या यह नहीं बताया गया था कि कामन वेल्थ खेल भारत में हो रहे हैं ।
यह सरकार को धिक्कारने का विषय है ।
भारत के किसी भी कोने से कुछ भी लिया होता तो गर्व का विषय होता ।
स्पष्ट होता है कि संसद में कैसे लोग बैठे हैं ।लगता है कि आत्म सम्मान के खेल में हम खेलने से पहले ही हार गए हैं । खेलों में घोटालों के महा खेल के बारे में तो खेलों के बाद ही मामला साफ़ होने के बाद कुछ कहा जा सकेगा । जब धुआं उठा है तो आग भी जरुर लगी होगी।
आज कई दिनों बाद आसमान साफ़ देखा । जमीन पानी से पूरी तरह भर चुकी है । नदी नाले भरे हुए हैं यह बारिश कई बरसों बाद हुई है । हालाँकि काफी जान माल का नुक्सान हुआ .बहुत लोगों ने अपनों को खोया यह बारिश उनके लिए कहर बनकर बरसी । फिर भी धरती के लिए यह बारिश अमृत की तरह थी ।
यह धूप भी अमृत की तरह लग रही है ।
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