कभी -कभी मैं सोचता कि कुछ भी न लिखना ही बेहतर होता है । पन्ने को यूँ ही छोड़ देना अच्छा लगता है । कोई शब्द न हो । कोई आकृति न हो ।
आश्चर्य !कि लोग उसमें से भी अपने विचारों के अनुसार सामग्री पढ़ने की कोशिश करते हैं । यानि कि पन्ना कोरा नहीं रहता । आकाश बिल्कुल खाली रहने के बाद भी लोग आकाश में अपना कोई कोना तलाशते हैं ।
अपने विचारों के लिए कोई सितारा तलाशते हैं । खाली आकाश से बातें करते हैं । या मौन होकर आकाश को एकटक निहारते हैं । तारों के बीच देखने की कोशिश करते हैं अपने बिछुड़े हुए प्रिय जनों को ।
लोग खाली पन्नों की किताब को सहेज कर रखते हैं । क्योंकि उसमें दर्ज किया जा सकता है जीवन --मृत्यु पर्यंत ।
लेकिन बहुधा खाली पन्नों की किताब खाली ही रह जाती है।
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
विश्व में युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहे। रूस - यूक्रेन/नाटो , हमास - इज़राइल , हिज़्बुल्ला - इज़राईल, ईरान -इज़राईल के सर्वनाशी युद्धों के...
-
आज बुरी तरह थक गया हूँ । या बुखार आने वाला है । लेकिन सोऊंगा तो ब्लॉग लिखकर ही । कल मैंने लिखा था कि किसान को आर्थिक सुरक्षा देनी होगी । तभी...
-
महंगाई भले ही अरबपति मुख्यमंत्रियों /करोडपति मंत्रियों /उद्योगपतियों /नौकरशाहों /बड़े व्यापारियों के लिए कोई मायने नहीं रखती हो लेकिन बेरोज...
-
बारिश की कमी से किसानों की परेशानी साफ़ दिखने लगी है. यानि फसल तो प्रभावित होगी ही साथ ही पानी की भी किल्लत बनी रहेगी। किसान यानि पहाड़ी ग्...