कल अल्मोड़ा गया था ।साथ में -मां नंदा देवी सेवा समिति के अद्ध्यक्ष श्री किशानंद उप्रेती जी भी थे । संस्था के पंजीकरण का नवीनी करण करवाया, देर होगई तो रात वहीं होटल में रुके । शाम को एक चक्कर बाज़ार घूमने गए यहाँ पर लोग शाम के वक़्त बाज़ार मैं घूमना ज्यादा पसंद करते हैं शाम के वक़्त में बाज़ार में अच्छी रौनक रहती है । लोग तरह-तरह की चीजों की खरीददारी ,घूमने,मिलने -मिलाने आते हैं ।लोगों की वाणी में एक तरह का जादुई मिठास है । शहर -एक बौद्धिक शहर भी है और खूबसूरत भी । सबसे खास बात यह है की शहर अपने भीतर गावं की संस्कृति को भी जीवित रखे हुए है ।
मैं और उप्रेती जी साथ ही रुके । रात देर तक संस्था के कार्यों के बारे मैं चर्चा करते रहे । लौट कर खाना खाकर कुछ देर पिताजी के साथ बैठा । बातचीत की । थकान महूसस हो रही थी .तो सोचा की जल्द ही डायरी लिख कर सो जाना चाहिए ।
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