रविवार, 19 मई 2013

 गर्मी आरम्भ हो चुकी है.दोपहर में सूर्य की किरणें सर पर लोहे की छड की  तरह पड़  रही हैं  जब पहाड़ों का यह हाल है तो मैदानों का क्या होगा ? 

चारों तरफ जंगल जल रहे हैं  जिस कारण तापमान बढ़ जाता है. और गरमी बढ़ने लगती है . यही स्थिति पहाड़ों की है. यदि जंगल न जलें ,जंगलों को आग से बचाया जा सके तो तापमान में काफी हद तक कमी आ सकती है. जंगलों का हर वर्ष जलना एक बहुत ही चिंता का विषय है. सैकड़ों पौंधों की प्रजातियों का अस्तित्व खतरे मैं है. जंगली पशुओं का अस्तित्व खतरे में है. पक्षियों का भोजन ख़त्म हो जाने के कारण वे भूख प्यास से दम तोड़ रहे हैं जंगलों के आग से उनके घोंसले जल कर खाक हो रहे हैं उनके बच्चे झुलस कर  दम तोड़ रहे हैं  बाघों का भोजन ख़त्म हो रहा है. बंदरों का  भोजन ख़त्म हो रहा है . घास चर कर पेट भरने वाले पशुओं का भोजन जल कर राख हो रहा है . वे भी चारे की तलाश में भूखों मर रहें हैं आग लगाने से जमीन की नमी ख़त्म हो रही है. 

 इन सब को बचाने वाला कोई नहीं है. 

  विश्व में युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहे।  रूस - यूक्रेन/नाटो  , हमास -  इज़राइल , हिज़्बुल्ला - इज़राईल, ईरान -इज़राईल  के सर्वनाशी युद्धों के...