आजकल शाम होते-होते बुरी तरह थक जा रहा हूँ । न लिखने की फुर्सत न पढ़ने की । उमा का तो और भी बुरा हाल हो जाता है । सुबह ४ बजे से काम पर शुरू हो जाती है और रात बिस्तर पर जाने तक लगातार काम । इसी आपाधापी के चलते आजकल वह कमजोर भी हो गई है ।
कल समाचार पढा कि बराक ओबामा को नोबेल पुरूस्कार मिला है । लगा कि नोबेल समिति ने इस पुरुस्कार की घोषणा जल्द बाजी में कर दी है । ओबामा महोदय की कार्य शैली को कम-से-कम तीन -चार साल देख लेना चाहिए था। पुरूस्कार की व ओबामा महोदय जी की भी महत्ता घटी है। इसे कम-से-कम गौरवशाली उपलब्धि तो नहीं कहा जा सकता है। नोबेल पुरूस्कार की गिरती साख को देखते हुए इस पुरुस्कार को या तो बंद कर देना चाहिए या इसी के समकक्ष एक नए पुरूस्कार का सर्जन कर एक नई समिति बनानी चाहिए जिसमें कि इस विश्व स्तर के पुरूस्कार को बांटने का विवेक हो । इस पुरूस्कार के साथ एक सबसे बड़ी समस्या है कि यह पुरूस्कार अंग्रेजी से बाहर नहीं जा पा रहा है जिससे यह नोबेल समिति यह साबित कराती है के अंग्रेजी के अलावा दुनिया के किसी भी साहित्य में किसी भी विज्ञान में या अन्य विषयों में कुछ भी श्रेष्ट नहीं है , और अंग्रेजों के अलावा कोई दूसरा व्यक्ति श्रेष्ट नहीं है । बराक ओबामा महोदय के विश्व शान्ति के प्रयास क्या हैं ?
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