मंगलवार, 28 जून 2011

प्रेम की बरसात में .

पानी से भरे बादल मन के आकाश को घेरे हुए हैं ।
मेरे भीतर की जमीन देख रही है बादलों को कि बरसे तो भीगेगा रोम -रोम ।
प्रेम की फसल के लिए जरूरी है भीतर के बादलों का बरसना ।
बरसेंगे बदल तो जरूर खिलेंगे हरी जमीन पर हल्के गुलाबी रंग के प्रेम के फूल।
हर चेहरे खिला होगा प्रेम का खूबसूरत रंग ।
लोग मिलेंगे आपस में प्रेम की बरसात में भीगते हुए ।

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