सोमवार, 18 अप्रैल 2011

उफ!

रात जम कर बारिश हुई ।
बिजली भी चमकी ।
मैं दिल खोल कर बैठा था कि बिजली मेरे दिल में उतरेगी।
लेकिन मालूम नहीं किसके दिल में उतरी ?
जहां उतरी होगी वहां फूल खिल गए होंगे ।

मैं तो बस, भीगता रहा सारी रात । बिलकुल तनहा ।
सुबह देखा तो धरती चमक रही थी ।
रात बिजली हरियाली भी बिखेर गई होगी ।
उफ!

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