कल रात देर तक नींद नहीं आयी ।
तो सोचा कि कुछ रुका हुआ काम निबटा लिया जाय । लेपटोप पर कवितायेँ टाईप की
काम करते- करते तीन बज गए थे । इस बीच रात में कई बार बाहर आया । रात के अँधेरे का सन्नाटा बहुत डरावना लग रहा था ।
पेड़ कैसे रहते होंगे इस भयानक सन्नाटे के बीच ।
किसी पत्ते के गिरने की आवाज भी डरा देती है । मैंने खूबसूरत चांदनी रातों को भी देखा है ।और उन रातों में खड़े पेड़ों की मस्ती और ख़ुशी भी ।
रात भर काम करता रहा, बरसों पुरानी कविताओं के बीच से होकर गुजरा । लगा कि मैं कहीं कुछ छोड़ आया था । जो अब भी वहीँ पर है । एक नदी आज भी वहीँ पर बह रही है । उसकी सायं -सायं कि आवाज अब भी अपनी ओर खींच रही है । आज भी कोई मुझसे मिलने की आतुरता में घर से निकलने का बहाना ढूंढ़ रही है ।
जैसे- तैसे मैंने कवितायेँ समेटी । घडी देखी तो साढ़े तीन बज चुके थे ।
सिर्फ डेढ़ घंटा सोया ।
लेकिन कहीं कोई सपना नहीं था ।
मंगलवार, 30 अगस्त 2011
सोमवार, 29 अगस्त 2011
सत्यमेव जयते
तमाम तरह के विवादों/विरोधों के बाद अंततः संसद की गरिमा कायम रही और जन भावना का सम्मान हुआ । इसे किसी की जीत की तरह नहीं देखना चाहिए । यह एक समाधान था ।
स्वतंत्र भारत में सत्य और अहिंसा का पहला राष्ट्रव्यापी प्रयोग जो पूरे विश्व को एक सन्देश भी दे गया ।
यह तो सर्वमान्य तथ्य है कि दुराचार एक न एक दिन ख़त्म होता ही है । चाहे वह कितना ही सशक्त क्यों न हो ।
लेकिन एक महत्त्वपूर्ण बात सामने आई । सत्य में शक्ति है । कि सिर्फ एक ईमानदार व्यक्ति के पीछे पूरा भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया खड़ी हो गई ।और दिग्गज नेताओं का समूह भी उसके आगे बौना हो गया । यह ईमान के प्रति लोगों की श्रद्धा है । और भ्रष्टाचार के विरुद्ध नफ़रत भी ।
स्वतंत्र भारत में सत्य और अहिंसा का पहला राष्ट्रव्यापी प्रयोग जो पूरे विश्व को एक सन्देश भी दे गया ।
यह तो सर्वमान्य तथ्य है कि दुराचार एक न एक दिन ख़त्म होता ही है । चाहे वह कितना ही सशक्त क्यों न हो ।
लेकिन एक महत्त्वपूर्ण बात सामने आई । सत्य में शक्ति है । कि सिर्फ एक ईमानदार व्यक्ति के पीछे पूरा भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया खड़ी हो गई ।और दिग्गज नेताओं का समूह भी उसके आगे बौना हो गया । यह ईमान के प्रति लोगों की श्रद्धा है । और भ्रष्टाचार के विरुद्ध नफ़रत भी ।
शनिवार, 27 अगस्त 2011
Abhinav Gatha: अन्ना हजारे , देश के आम भारतीय की आवाज .
Abhinav Gatha: अन्ना हजारे , देश के आम भारतीय की आवाज .: आम भारतीय ईमानदारी तथा शराफत से अपना जीवन यापन करने में बिश्वास करता है . अहिंसा ,शांति और धैर्य उसकी पहचान है ,ताकत है । और चाहता है कि दूस...
अन्ना हजारे , देश के आम भारतीय की आवाज .
आम भारतीय ईमानदारी तथा शराफत से अपना जीवन यापन करने में बिश्वास करता है . अहिंसा ,शांति और धैर्य उसकी पहचान है ,ताकत है । और चाहता है कि दूसरा व्यक्ति भी अपना ईमान कायम रखे ।आम भारतीय सिर्फ अपना नहीं ,बल्कि पूरी दुनिया में सत्य अहिंसा और शांति की कामना करता है ।
लेकिन क्या आम भारतीय का नेतृत्व भी उतना ही पाक -साफ़ है ।
यक़ीनन नहीं ।
इसीलिए भ्रष्ट्राचार के खिलाफ अन्ना हजारे को अनशन करते हुए बारह दिन हो गए हैं ।यह भारतीय संसद और सरकार के लिए शर्म का विषय है . अन्ना हजारे के पीछे खड़ी होने वाली भीड़ ने साबित किया कि अन्ना हजारे पूरे देश के आम भारतीय की आवाज है । देश का नेतृत्व भ्रष्ट्राचार के दलदल में डूबता जा रहा है । सांसदों ,मंत्रियों ,मुख्यमंत्रियों के मुह पर सत्ता और दौलत का खून इस तरह लग गया है कि वे घोटालों ,रिश्वतखोरी ,भ्रष्ट्राचार के विरुद्ध बोलने वालों को ही मार खाने को दौड़ रहे हैं ।
वे जन शक्ति को भूल गए हैं । वे यह भी भूल गए हैं कि हमें संसद भेजने वाली यह आम जनता ही है । जिसे ज्यादा समय तक बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता है ।
और सरकारी पक्ष के सभी सांसदों ने अन्ना हजारे के अनशन को एक मजाक बना कर रख दिया है ।
सरकार बदहवास हो गयी है केबिनेट के मंत्री अपनी वाणी पर अपना संतुलन खो चुके हैं।
सरकार और सांसदों ने सिद्ध किया कि भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के हित सर्वोपरि है ।
लेकिन क्या आम भारतीय का नेतृत्व भी उतना ही पाक -साफ़ है ।
यक़ीनन नहीं ।
इसीलिए भ्रष्ट्राचार के खिलाफ अन्ना हजारे को अनशन करते हुए बारह दिन हो गए हैं ।यह भारतीय संसद और सरकार के लिए शर्म का विषय है . अन्ना हजारे के पीछे खड़ी होने वाली भीड़ ने साबित किया कि अन्ना हजारे पूरे देश के आम भारतीय की आवाज है । देश का नेतृत्व भ्रष्ट्राचार के दलदल में डूबता जा रहा है । सांसदों ,मंत्रियों ,मुख्यमंत्रियों के मुह पर सत्ता और दौलत का खून इस तरह लग गया है कि वे घोटालों ,रिश्वतखोरी ,भ्रष्ट्राचार के विरुद्ध बोलने वालों को ही मार खाने को दौड़ रहे हैं ।
वे जन शक्ति को भूल गए हैं । वे यह भी भूल गए हैं कि हमें संसद भेजने वाली यह आम जनता ही है । जिसे ज्यादा समय तक बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता है ।
और सरकारी पक्ष के सभी सांसदों ने अन्ना हजारे के अनशन को एक मजाक बना कर रख दिया है ।
सरकार बदहवास हो गयी है केबिनेट के मंत्री अपनी वाणी पर अपना संतुलन खो चुके हैं।
सरकार और सांसदों ने सिद्ध किया कि भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के हित सर्वोपरि है ।
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