आम भारतीय ईमानदारी तथा शराफत से अपना जीवन यापन करने में बिश्वास करता है . अहिंसा ,शांति और धैर्य उसकी पहचान है ,ताकत है । और चाहता है कि दूसरा व्यक्ति भी अपना ईमान कायम रखे ।आम भारतीय सिर्फ अपना नहीं ,बल्कि पूरी दुनिया में सत्य अहिंसा और शांति की कामना करता है ।
लेकिन क्या आम भारतीय का नेतृत्व भी उतना ही पाक -साफ़ है ।
यक़ीनन नहीं ।
इसीलिए भ्रष्ट्राचार के खिलाफ अन्ना हजारे को अनशन करते हुए बारह दिन हो गए हैं ।यह भारतीय संसद और सरकार के लिए शर्म का विषय है . अन्ना हजारे के पीछे खड़ी होने वाली भीड़ ने साबित किया कि अन्ना हजारे पूरे देश के आम भारतीय की आवाज है । देश का नेतृत्व भ्रष्ट्राचार के दलदल में डूबता जा रहा है । सांसदों ,मंत्रियों ,मुख्यमंत्रियों के मुह पर सत्ता और दौलत का खून इस तरह लग गया है कि वे घोटालों ,रिश्वतखोरी ,भ्रष्ट्राचार के विरुद्ध बोलने वालों को ही मार खाने को दौड़ रहे हैं ।
वे जन शक्ति को भूल गए हैं । वे यह भी भूल गए हैं कि हमें संसद भेजने वाली यह आम जनता ही है । जिसे ज्यादा समय तक बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता है ।
और सरकारी पक्ष के सभी सांसदों ने अन्ना हजारे के अनशन को एक मजाक बना कर रख दिया है ।
सरकार बदहवास हो गयी है केबिनेट के मंत्री अपनी वाणी पर अपना संतुलन खो चुके हैं।
सरकार और सांसदों ने सिद्ध किया कि भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के हित सर्वोपरि है ।
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