शनिवार, 13 फ़रवरी 2010

फिर मर गए तेंदुए

सुबह -सुबह दिल्ली से लौटने पर अखबार देखा तो सर चकरा गया । खबर थी कि देहरादून के वन रेंज में दो तेंदुए मृत पाए गए । इन तेंदुओं की मौत या मारे जाने का सिलसिला ख़त्म नहीं हो रहा है । समाज संवेदनहीन हो गया है और सरकार नाकाम । अब तो भगवान् ही मालिक है । लगता है कि बाघों /तेंदुओं की हत्याओं के प्रति कोई भी गंभीर नहीं है ।
भतीजे राजेश जी की शादी में दिल्ली गया था । घर से मैं दिनु और इजा गए थे . शादी ठीक रही कई ऑरकुट मित्र भी मिले ,दामोदर ,कैलास आदि । परिवार और गावं के सभी लोगों से मुलाकात हुई । अच्छा लगा । कुछ समय के liye तो laga ही नहीं कि हम लोग दिल्ली में हैं ।

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