शनिवार, 13 फ़रवरी 2010

कल लिखना आधे में ही बंद करना पड़ा । बच्चों ने एकाग्रता भंग कर दी । एक यात्रा( चाहे वह छोटी हो या बड़ी ०) में कुछ बहुत देख सकते हैं । बहुत दूर तक हमारी नजर जा सकती है और बहुत कुछ अपने भीतर समेत सकते हैं । यात्रा का एक मकसद यह भी है कि हम नया क्या देख पाते हैं । मैं जो जिंदगी देखता गया वह मेरे रोजमर्रा की दिनचर्या से बिलकुल अलग थी । लोगों के चेहरों से परेशानियाँ और खुशियाँ, क्रोध और प्रेम हम चलते -चलते देख सकते हैं । जिंदगी कहीं दौड़ रही है तो कही एक घुटन भरे कमरे में कैद है। बच्चों का एक व्यवसाय देखा कूड़ा बीनना ,यह समाज के लिए एक बड़ी दुखद घटना है। कि संवेदनहीन लोग इन्हें बुरी तरह फटकारते हैं । इनके लिए यह काम भी एक मानसिक प्रताड़ना झेलने वाला जोखिम का काम है ।

फिर मर गए तेंदुए

सुबह -सुबह दिल्ली से लौटने पर अखबार देखा तो सर चकरा गया । खबर थी कि देहरादून के वन रेंज में दो तेंदुए मृत पाए गए । इन तेंदुओं की मौत या मारे जाने का सिलसिला ख़त्म नहीं हो रहा है । समाज संवेदनहीन हो गया है और सरकार नाकाम । अब तो भगवान् ही मालिक है । लगता है कि बाघों /तेंदुओं की हत्याओं के प्रति कोई भी गंभीर नहीं है ।
भतीजे राजेश जी की शादी में दिल्ली गया था । घर से मैं दिनु और इजा गए थे . शादी ठीक रही कई ऑरकुट मित्र भी मिले ,दामोदर ,कैलास आदि । परिवार और गावं के सभी लोगों से मुलाकात हुई । अच्छा लगा । कुछ समय के liye तो laga ही नहीं कि हम लोग दिल्ली में हैं ।

शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2010

अल्मोड़ा में नाबार्ड की मीटिंग से से कल रात लौटा । देर हो गई थी ,उमा खाना बनाने लग गई थी । यह मोबाइल भी बड़ी अजीब बला है हर घंटे की सूचना बीबी माँगने लगती है । वैसे इसपर झूठ बोलना काफी आसान है । कहीं बैठे रहो और बीबी पूछे तो कहीं बता दो । लेकिन अगर पकडे गए तो बीबी बुरी तरह पीट भी देगी । -सावधान !
मीटिंग में काफी लोग आये थे । कई नए मित्र बने । कई नयी जानकारियां मिली । अनुभव बढ़ा ।

सोमवार, 1 फ़रवरी 2010

सार में सारस

अभी-अभी अल्मोड़ा से लौटा हूँ । मासी पहुँच कर देखा कि ढलती सांझ में हरी -भरी सार के ऊपर सारसों का झुण्ड उड़ रहा है । वाह ! अद्भुत !
साथ में समयांतर ले कर गया था । कुछ देखा । अखबार देखा कि मुंबई में शाहरुख़ खान के घर पर भाषाई तालिबानों का हमला हुआ । लानत है इन्हें । आखिर बाल ठाकरे और राज ठाकरे इस देश को क्या बनाना चाहते हैं ? यह तो बहुत ही घटिया और गटर लेबल की राजनीति हुई । इन दोनों की देश विरोधी हरकतों पर तत्काल पावंदी लगनी चाहिए । अगर इन्हें ढील दी गई तो यह कोढ़ कल पूरे देश में फैलेगा । तब सरकार के आगे बड़ी समस्या खड़ी हो जायगी .मुंबई और ऑस्ट्रेलिया की घटनाओं में फर्क क्या रहा ?
-सारा भारत एक है । इस विचार को ताकत मिलनी चाहिए ।

  विश्व में युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहे।  रूस - यूक्रेन/नाटो  , हमास -  इज़राइल , हिज़्बुल्ला - इज़राईल, ईरान -इज़राईल  के सर्वनाशी युद्धों के...