सोमवार, 7 सितंबर 2009

इसी बारिश में

दिन मैं तेज बारिश में पहाड़ों को नहाते देखा । पेड़ों,लताओं , फूलों, पत्तियों पर गिरती बूंदों से बजाने वाले संगीत की ताल पर उन्हें झूमते देखा , देखा कि हवा और बारिश मैं पेड़ नाचने /गाने लगते हैं । बारिश उनके लिए एक उत्सव है । लेकिन अतिब्रष्टि या तूफ़ान नहीं । इसी बारिश में उमा गाय के लिए घास काटने के लिए चली गई, लौटी तो भीग कर निज्झुत्त हो चुकी थी । एक गिलास गरम चाय बनाकर मेडम को दी । और मैंने भी पी । मुझे चाय पीने का मन हो ही रहा था ।
दिन में कुछ देर कम्प्यूटर पर कार्य किया मेल देखी । बारिश के कारण बाज़ार नहीं गया । सन्डे पोस्ट में छपी अपनी कवितायें पढ़ी । अच्छी लगी । कुछ देर बच्चों के साथ बैठ कर उनका स्कूल का काम देखा । बच्चों के बीच बैठना ,उनकी बातें सुनना , उनके साथ बात-चीत करना भी बहुत जरुरी है बाहर बारिश अभी भी जारी है

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