मंगलवार, 26 दिसंबर 2023

 भारी बमबारी के बीच सांता इस्राइल- ग़ज़ा पहुंचा या नहीं, यूक्रेन-  रसिया पहुंचा या नहीं। क्योँकि वहां सांता के जाने का समाचार नहीं देखा।  कोई शांति लिए नोबल पुरस्कार विजेता बम बर्षकों के नीचे  खड़े होकर चिल्लाया नहीं कि  बंद करो ये विनाश। ऐसा भी कोई समाचार नहीं देखा।  किसी को  कंधे में क्रॉस रख कर वहां  शांति की अपील करते नहीं देखा. वहां किसी इस्लामिक पैगम्बर  के अनुयायी को शांति के लिए मार्च निकालते नहीं देखा। सारे चर्च और मस्जिदें मौन क्योँ हैं. 

एक विचित्र द्विविधा में दिखते हैं दोनों।  आतंक का साथ दें  या युद्ध का। 

युद्धों के बीच मात्र तानाशाहों की क्रूरता , आतंक , भय ,मृत्यु और विनाश को अपनी भाषा बोलते देख रहा हूँ। 

यहाँ पर आकर दिखाई देता है कि नोबल पुरस्कार किस को और क्योँ दे दिऐ जाते हैं। 

आतंक और युद्ध किसकी भाषा है और शांति का नोबल किस प्रकार के लोगों की भाषा बोलने वालों को दिया  जाता है. 

गुरुवार, 7 दिसंबर 2023

 सुबह  - सुबह  पक्षियोँ के कलरव से नींद  खुली।  चाय पीकर बाहर निकला तो देखा कि खेतों ने घने  कुहरे की चादर  ओढ़ी है और ठण्ड हरियाली के पहरे में खड़ी  है।  बाहर निकलने का साहस नहीं  हो रहा था लेकिन समय के साथ  चलने के लिए कमरे से बाहर  निकला।  

धूप के निकलने के साथ ही कुहरा हवा में घुलने लगा और ठण्ड भी किरणों के रथ में बैठकर चली गई।   हरियाली निश्चिंत होकर अपनी आभा बिखेरने लगी घाटी के दोनों और की पहाड़ियां आकर खड़ी  हो गई।  

शीत ऋतु  में हर वर्ष कई प्रकार के नए - नए अतिथि पक्षी घर के आस पास आकर चहकने लगते हैं या कहूँ  कि मिलने आते हैं. 

उनका आना अच्छा लगता है।  मेरे मित्रों में वे भी प्रिय मित्र  हैं. 


गुरुवार, 23 नवंबर 2023

गुरुवार, 16 नवंबर 2023

समूचे विश्व में चल रहे युद्धों के कारण महाशक्तियों के अस्त्र शस्त्रों  के भण्डार लगभग खाली होने को हैं. और उन्नत हथियार बनाने को आतुर हैं और उनकी  संहारक क्षमता के  परीक्षण  भी हो रहे हैं. अनगनित बम गिराए जा रहे हैं. परमाणु युद्धों के बादल मंडरा कर लौट जा  रहे हैं. प्राणियों और सभ्यताओं के अस्तित्व संकट में हैं. पर्यावरण की तो बात ही व्यर्थ है.  महाशक्तियां ह्र्दय हीन/ संवेदनहीन हो रही  हैं. परमाणु युद्ध की संभावनाएं खोजी जा रही हैं, 


सारी  दुनियां के बुद्धिजीवी नाम के जीव मौन  हैं.  असहाय है. या अपनी जीविका के स्वार्थ में   व्यापक संहार की ओर से ऑंखें मूंदें हैं।  या युद्धों को महिमामण्डित कर रहे हैं. 
विश्व समुदाय बिल्कुल महाभारत  की पुनरावृत्ति की ओर बढ़ रहा है।   

महाविनाश की ओर  बढ़ती इस धरती पर हम इस धरती पर क्या बचाने  के लिए संघर्ष करें। 

बुधवार, 18 अक्टूबर 2023

 या  देवी सर्व भूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता , नमस्तस्यै नमस्तस्यै  नमो नमः , 

जिस धर्म के ग्रंथों ऐसा नारी को शक्ति स्वरूपा माना गया हो।  पत्नी के रूप में अर्धांगिनी माना  गया हो।  जिसके बिना हिन्दू धार्मिकों के पूजा आदि  कोई भी कार्य  अपूर्ण माने  जाते हैं. संसार जिसे जननी के रूप में मानता  है , जिसे बैभव की देवी लक्ष्मी माना  गया हो। जिसे विद्या की देवी सरस्वती माना  गया हो, जिसे असुरों के विनाश की देवी महाकाली माना गया हो  उस देश में नारी के लिए अबला शब्द कहाँ से आगया? 


शनिवार, 7 अक्टूबर 2023

 कल अष्टमी के श्राद्ध के साथ ही पिताजी को हमसे बिछड़े हुए एक वर्ष हो गया है।  

इन बारह महीनों मैं पिता जी ममत्व की  छत्र छाया  में व्यतीत अपने बचपन से लेकर उनके हमारे बीच उनके अंतिम दिन तक की यात्रा तक की पुस्तक को पुनः खोल कर देखा।  हर घटना से पुनः गुजरा।  

आज भी घर के हर कोने में उन्हें ढूंढता हूँ।  कभी लगता है वे दुकान में ग्राहकों से बातें कर रहे हैं।  उनकी आवाज कानों में गूंजती है। लेकिन वे कहीं दिखाई नहीं देते हैं।  

मंगलवार, 19 सितंबर 2023

 निशा शान्त अवश्य  होती है पर मौन नहीं।  तिमिर की कालिमा में दिनभर के सारे प्रश्न जाग उठते हैं. 

उनके प्रश्न जिनकी आवाज दिन को सुनाई नहीं देती है। दिन के  प्रकाश की चकाचौंध में जिनकी आवाज दब  जाती है अन्याय और शोषण के कोलाहल से भयभीत जो अपनी बात नहीं कह पाते रात्रि उनके क्रंदन से सो नहीं पाती।  उनके साथ बैठ कर उनकी बातें सुनती है शोषण और अन्याय की झकझोर देने वाली कहानियां उसकी चिन्ता बन जाती है।

रात्रि के आकाश में न्याय के लिए पुकारने की गूंजती आवाजों पर न्याय उसका उत्तरदायित्व होता है।   

शांत हृदय से कभी रात्रि में बाहर बैठ कर अँधेरे की सुंदरता का आनंद लें। 

जंगलों से आती उन सभी की मधुर आवाजों को सुनें जो दिन में नहीं बोल पाते। या दिन के कोलाहल में उनकी आवाज हम तक नहीं पहुँच पाती है  उनका बोलना एक सम्मोहक संगीत है जो सर्वत्र गूंजता रहता है।  रात्रि हमेशा सोने के लिए ही नहीं होती है।  अँधेरे का  रास्ता भोर के दिव्य प्रकाश के साथ दिन के उजाले की ओर जाता है।  किसी पहाड़ी के शिखर पर बैठकर कभी शांत मन से अँधेरे के साथ इस राह के यात्री बने।  

गुरुवार, 24 अगस्त 2023

 श्रावण  मास की सुहावनी  ऋतु  चल रही है।  अभी दो मास पहले गर्मी और वनाग्नि की घुटन से प्राणी मात्र त्रस्त  थे। 

वनाग्नि हर वर्ष की घटना होती  जा रही है। हर वर्ष जंगलों का जलना  भी हमारे जीवन के  एक आवश्यक घटना क्रम की तरह बन चुका  है। हर वर्ष महत्वपूर्ण जड़ीबूटियां, जंगल के छोटे छोटे पक्षी , चीटियां, कीट  पतंगे स्वच्छ हवा,जंगलों की मिटटी की नमी, शीतलता सब वनाग्नि की भेंट चढ़ जाते हैं. 

हम कुछ नहीं कर पाते  हैं. सिर्फ  दूर दूर तक जलते जंगलों को जलते देखते रहते हैं.

इस बार की बरसात भी भीषण विनाशकारी रूप में आई और यहाँ भी हम  प्रकृति के इस रौद्र रूप को मात्र देखते रहे। 

लेकिन यदि परमाणु यद्ध हुआ तो हम उस विनाश को भी देखते रहेंगे। यदि ये परमाणु युद्ध हमारे आसपास नहीं हुआ तो।  परमाणु युद्ध का रौद्र रूप के समक्ष तो प्राकृतिक विनाश कुछ भी नहीं है. 

आईये  दुनियां के परमाणु संपन्न तानाशाहों से पूछें  कि वे परमाणु युद्धों के बाद विश्व को कैसा देखना चाहते हैं. 

  विश्व में युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहे।  रूस - यूक्रेन/नाटो  , हमास -  इज़राइल , हिज़्बुल्ला - इज़राईल, ईरान -इज़राईल  के सर्वनाशी युद्धों के...