समूचे विश्व में चल रहे युद्धों के कारण महाशक्तियों के अस्त्र शस्त्रों के भण्डार लगभग खाली होने को हैं. और उन्नत हथियार बनाने को आतुर हैं और उनकी संहारक क्षमता के परीक्षण भी हो रहे हैं. अनगनित बम गिराए जा रहे हैं. परमाणु युद्धों के बादल मंडरा कर लौट जा रहे हैं. प्राणियों और सभ्यताओं के अस्तित्व संकट में हैं. पर्यावरण की तो बात ही व्यर्थ है. महाशक्तियां ह्र्दय हीन/ संवेदनहीन हो रही हैं. परमाणु युद्ध की संभावनाएं खोजी जा रही हैं,
सारी दुनियां के बुद्धिजीवी नाम के जीव मौन हैं. असहाय है. या अपनी जीविका के स्वार्थ में व्यापक संहार की ओर से ऑंखें मूंदें हैं। या युद्धों को महिमामण्डित कर रहे हैं.
विश्व समुदाय बिल्कुल महाभारत की पुनरावृत्ति की ओर बढ़ रहा है।
महाविनाश की ओर बढ़ती इस धरती पर हम इस धरती पर क्या बचाने के लिए संघर्ष करें।
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