नमस्कार ,
कोरोना से जुड़ी चिंताएं यथावत हैं. कोरोना ने बताया कि हमें जिन्दा रखने के लिए भी सरकार को कठोर निर्णय लेने पड़े। यानि कि हमें स्वयं के जीवन लिए भी विवेक नहीं है। प्राकृतिक हितों से जुड़ी चिंताएं भी यथावत हैं. हम पराधीनता से अभी हाल ही में बाहर निकले हैं. हमारे शब्द भी अभी पूरी तरह हमारे नहीं हैं। कभी कभी लगता है कि हमने सोचना भी अभी हाल ही में आरम्भ किया है। हमें कानूनों के आधीन कार्य करने की आदत है। ज्ञान और विवेक के बगैर स्वंतत्रता कहीं ज्यादा घातक है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें