कोरोना के डर के मारे अपनी गुफा में हूँ।
और आजकल दूसरों को देखकर डर लग रहा है। कोई किसी का मित्र नहीं। वैसे यह एक सुखद एकांतवास है। ध्यान के लिए इससे उत्तम अवसर दुबारा मिलना कठिन है।
आजकल स्वयं का अध्ययन कर रहा हूँ। अपने पुराने धरम - कर्म, सब याद आ रहे हैं। कभी सोचता हूँ कि प्रत्येक दिन एक पृष्ठ लिखूं कभी लगता है कि अपना अतीत पढ़ लेना चाहिए। कभी भविष्य के दरवाजे पर दस्तक देता हूँ।
और आजकल दूसरों को देखकर डर लग रहा है। कोई किसी का मित्र नहीं। वैसे यह एक सुखद एकांतवास है। ध्यान के लिए इससे उत्तम अवसर दुबारा मिलना कठिन है।
आजकल स्वयं का अध्ययन कर रहा हूँ। अपने पुराने धरम - कर्म, सब याद आ रहे हैं। कभी सोचता हूँ कि प्रत्येक दिन एक पृष्ठ लिखूं कभी लगता है कि अपना अतीत पढ़ लेना चाहिए। कभी भविष्य के दरवाजे पर दस्तक देता हूँ।
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