शुक्रवार, 18 अक्टूबर 2013


 एक शून्य- सा उभर आया था ,
जिसके भीतर सिर्फ मैं ही नहीं  था।
मेरे साथ थे विचार ,  जिन्होंने मुझे न सोने दिया
न जागने  दिया।


जो निरंतर स्वप्न बनते रहे।

और हर स्वप्न एक नया शून्य बुन देता।
जिस तरह सूर्य घटनाओं से भरा एक दिन बना देता है।
और चंद्रमां
 रात स्वप्नों के लिए।




  

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