शुक्रवार, 18 अक्टूबर 2013


 एक शून्य- सा उभर आया था ,
जिसके भीतर सिर्फ मैं ही नहीं  था।
मेरे साथ थे विचार ,  जिन्होंने मुझे न सोने दिया
न जागने  दिया।


जो निरंतर स्वप्न बनते रहे।

और हर स्वप्न एक नया शून्य बुन देता।
जिस तरह सूर्य घटनाओं से भरा एक दिन बना देता है।
और चंद्रमां
 रात स्वप्नों के लिए।




  
नमस्कार मित्रो ,
आज फिर कई  दिनों बाद अपने पन्ने पर बैठा हूँ।
अनिश्चित कार्यक्रम और अनिमियत दिनचर्या कई कार्यों को भी अनिमियत कर देती है।  इस अनिमियतता के कारण  कई महत्वपूर्ण चीजें छूट जाती हैं मसलन दोस्तों से मिलना ,जरुरी काम निबटाना और जरुरी चीजों को देखना ,
अनुपस्थिति का दौर भी कई घटनाओं का साक्षी होता है ,इसका अर्थ यह नहीं कि  मैं नहीं था तो कुछ नहीं हुआ  होगा  ,अनियमित लेखन के कारण कुछ अच्छा देखा तो वह भी कहने  से रह गया और कुछ गलत होते देखा तो वह भी बताने से रह गया। यह एक किस्म से अन्याय है-लेखन के साथऔर स्वयं के साथ भी ।  या तो लिखना ही नहीं  चाहिए और यदि लिखते हो तो पूरी ईमानदारी के साथ लिखो।

प्रकृति की आवाज सुनो।
वहां धीरे- धीरे सब कुछ ख़त्म किया जा रहा है। आत्मिक  शांति,प्राकृतिक, वनस्पतियाँ ,स्वाभाविक  स्वछता, संवेदनशीलता ,सहनशीलता । और प्रेम। 
और यह सब ख़त्म  होने दिया जा रहा है,
मैं, आप और वे। सब इसके जिम्मेदार हैं।
क्योंकि हमारे दायित्वों के दायरे ख़त्म हो गए हैं।

रविवार, 23 जून 2013

अत्यंत  दुखद ! ह्रदय विदारक !
उत्तराखंड प्राकृतिक आपदा में मृतकों की आत्मशांति हेतु इश्वर
से प्रार्थना करता हूँ व इश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि उनके परिजनों को
इस दुःख को सहने की शक्ति प्रदान करे .
मित्रो,
आप जानते ही हैं कि विगत दिनों उत्तराखंड पर दैवीय आपदा का पहाड़ आ गिरा है, बादल फटने से भीषण तबाही हुई है,मरने वालों की संख्या अभी स्पष्ट नहीं है, वैसे यह अनुमान है कि  मरने वालों की संख्या हजारों में  हो सकती है. अभी भी 2 2 हजार के करीब लोग विभिन्न जगहों में फंसे हुए हैं जिन्हें सेना की मदद से निकाला  जा रहा है इस आपदा में सेना ने राहत  और बचाव का कार्य बहुत ही तत्परता के साथ   किया जिससे हजारों लोगों की जान बचाई जा सकी .यह बहुत ही सराहनीय है.
मित्रो ,
सभी लोगों से निवेदन है की इस आपदा से निबटने में अपना सहयोग करें ,मुख्यमंत्री राहत  कोष उत्तराखंड में अपने आर्थिक योगदान दें .तथा जिस तरह भी बन पड़े अपना योगदान दें .ताकि राहत एवं पुनर्वास का कार्य तेजी से किया जा सके .यह संभवतः भारत में अब तक की सबसे बड़ी आपदा है.

रविवार, 19 मई 2013

 गर्मी आरम्भ हो चुकी है.दोपहर में सूर्य की किरणें सर पर लोहे की छड की  तरह पड़  रही हैं  जब पहाड़ों का यह हाल है तो मैदानों का क्या होगा ? 

चारों तरफ जंगल जल रहे हैं  जिस कारण तापमान बढ़ जाता है. और गरमी बढ़ने लगती है . यही स्थिति पहाड़ों की है. यदि जंगल न जलें ,जंगलों को आग से बचाया जा सके तो तापमान में काफी हद तक कमी आ सकती है. जंगलों का हर वर्ष जलना एक बहुत ही चिंता का विषय है. सैकड़ों पौंधों की प्रजातियों का अस्तित्व खतरे मैं है. जंगली पशुओं का अस्तित्व खतरे में है. पक्षियों का भोजन ख़त्म हो जाने के कारण वे भूख प्यास से दम तोड़ रहे हैं जंगलों के आग से उनके घोंसले जल कर खाक हो रहे हैं उनके बच्चे झुलस कर  दम तोड़ रहे हैं  बाघों का भोजन ख़त्म हो रहा है. बंदरों का  भोजन ख़त्म हो रहा है . घास चर कर पेट भरने वाले पशुओं का भोजन जल कर राख हो रहा है . वे भी चारे की तलाश में भूखों मर रहें हैं आग लगाने से जमीन की नमी ख़त्म हो रही है. 

 इन सब को बचाने वाला कोई नहीं है. 

शुक्रवार, 5 अप्रैल 2013


 कभी -कभी हम तय नहीं कर पाते  हैं  कि  करना क्या है ?
एक चौराहे  पर चार  रास्ते  मिलते हैं या चौराहे से चार रास्ते  निकलते हैं . अजीब उलझन सी आ खड़ी होती है.

कुछ इसी तरह दिन निकला ,प्रकृति का सबकुछ नियमित था .लेकिन मैं नहीं .
और  मैं अनिमियत होने का लुत्फ़ भी नहीं उठा पा रहा था .
छांछ पी और धूप सेंकी .खाना खाया और सो गया .
उठा तो चाय पी . आज कुछ भी करने का मन नहीं हुआ . दिन को निकलने दिया , धूप को  आने दिया . हवा को बहने  दिया ,सारे काम चुप चाप होने दिए . किसी काम में किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं किया .
आज सपनों को भी आने की मनाही थी .
आज अपने भीतर एक शून्य चाहता था .
चुप- चाप शाम ने दस्तक दी . मैंने दरवाजा खोला . दिए की रोशनी की  एक किरण सीधे मेरे भीतर प्रवेश कर गयी .जैसे रोशनी को मेरे दिल के भीतर से गुजरते हुए एक लंबा रास्ता तय करना हो .
ज्यों ज्यों अँधेरा गहराता गया मेरे भीतर उजाला बढ़ता गया .
मुझे लगा कि इसी रोशनी की तलाश थी मुझे . यहीं से होकर कोई राह निकलती है .

गुरुवार, 4 अप्रैल 2013

 गौरैये की चहचाहट  से नीद खुली , बाहर  देखा ,सुबह बहुत ही मन भावन  थी , 
पिछली वारिश से ठण्ड लौट आयी है . और मौसम का सुहानापन भी . लग ही नहीं रहा है क़ि अप्रैल आ गया है .
यदि इसी प्रकार मौसम बना रहा तो जंगलों में आग लगने की घटनाओं  में थोडा कमी होगी .
और गधेरों में  पानी बना रहेगा .मनुष्यों और जंगली जानवरों के लिए पानी की परेशानी नहीं होगी .
जंगलों में नए पौंधों को पनपने का अवसर मिलेगा .वर्ना हर साल लगने वाली  आग से नए पौंधों को पनपने का अवसर नहीं मिल पा  रहा था . और  जंगलों का विकास रुक गया था . महत्वपूर्ण जड़ी बूटियों का अस्तित्व खतरे में पड़  गया था .
इस साल की बारिश की निरंतरता ने लोगों में उम्मीद जगा दी है .

गुरुवार, 28 मार्च 2013

होली  की हार्दिक शुभकामनायें .
ये रंग आपके जीवन में उमंग लायें .आपका पूरा  साल सुखद रंगों से रंगमय हो .
हम अगली होली पर इसी तरह ख़ुशी ख़ुशी मिलें .
ख़ुशी के ये रंग आपके जीवन में  हमेशा बने रहें .

बुधवार, 27 मार्च 2013

ahinsa aaj ki jarurat hai .

आज कई दिनों  के बाद अपने पन्ने पर बैठा हूँ
इस बीच मानवता को दहला देने वाली कई घटनाएँ घटी हैं .
लेकिन जो उत्तराखंड में  हुआ वह काफी चिंता जनक है .जनवरी -फरवरी में उत्तराखंड में लगभग तीस तेंदुओं को अपनी जान गवानी पड़ी . उनमें से कितने मार दिए गए ,कितने स्वतः मरे .यह तो बाद का सवाल है .
  फिल हाल तो यह चिंता का विषय है कि आज  मानव और वन्य जीव आमने सामने है. यह संघर्ष क्यों ?
जंगलों से संघर्ष की आवाज आ रही है . शेर मारे जा रहे हैं ,हाथी मारे जा रहें ,बाघ मारे जा रहें ,तेंदुएं मारे जा रहें , भालू मरे जा रहें हैं सूअर मारे जा रहे हैं  घुरड़ ,काकड़ ,हिरन,खरगोश ,वनमुर्गी ,अजगर ,कोबरा ,वाइपर और  सैकड़ो साल पुराने पेड़ मारे जा रहें हैं . जंगलों की सघनता कम हो रही है . पक्षियों का अस्तित्व खतरे मैं है.
संघर्षों का एक मुख्य कारण यह है कि जंगलों में पशुओं का स्वाभाविक भोजन ख़त्म हो रहा है. यह मनुष्यों के द्वारा अंधाधुंध शिकार का परिणाम है .
आज आवश्यकता जंगलों के साथ  मित्रता पूर्ण  व्यहार की है. हम उनके हकों का अनैतिक दोहन न करें . कानून की जरुरत तब महसूस होती है जब हम अपनी हदें लांघते हैं . जब हमारी क्रूरता अनियंत्रित हो दूसरों के लिए खतरा बन जाती है . तब लगता है कि एक सख्त कानून होना चाहिए . जिस पर अमल हो .

अहिंसा आज की जरुरत है .

  विश्व में युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहे।  रूस - यूक्रेन/नाटो  , हमास -  इज़राइल , हिज़्बुल्ला - इज़राईल, ईरान -इज़राईल  के सर्वनाशी युद्धों के...