शनिवार, 2 जुलाई 2011

हरियाली है तो जीवन है .

आज पूरा दिन हरियाली की किताब पढ़ता रहा । पिछले तीन -चार दिनों की बारिश के बाद आज चटख धूप थी । धरती के सारे रंग एक नयी आभा से चमक से गए थे ।
आँखों के सामने पहाड़ों में फैली हरियाली थी । जिनमें से पढ़नी थी कथाएं अतीत की । और कथाएं अपने चारों ओर बिखरी लोगों की दिनचर्या की ।
खेतों और हरियाली / अनाज की पौंध से कितना प्यार करती हैं महिलाएं । सब कुछ भूलकर खेतों में रोपाई करने में व्यस्त हैं । कभी बारिश झम्म से आकर उन्हें भिगो जाती है तो कभी धूप गरमी से त्वचा जलने को तैयार रहती है । लेकिन ममता तो ममता है । धान हैं तो सपने हैं । हरियाली है तो जीवन है / प्यार है ।

हरियाली है तो आशा है ।
उमंग है ।

और हैं सपने ।

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