गुरुवार, 30 जून 2011

रात भी एक कविता है .

रात भी एक कविता है ।
कभी ख़ामोशी से पढो ।
दिन से तय कर लो कि आज रात के साथ वक़्त गुजारना है ।
रात के रंग देखने हैं ।
रात आने वाले सपनों का भी स्वागत करना है ।
रात को आपके पास सिर्फ रात रहे ।
कोई शब्द नहीं ।

कभी -कभी शब्द जब ख़ामोशी तोड़ते हैं ।
तो रात चली जाती है ।
तब हम सिर्फ एक अँधेरे से घिरे हुए होते हैं ।

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