मंगलवार, 26 जनवरी 2010

ठण्ड में सारस

सुबह अभी बहुत ठण्ड है। इसके बजूद भी पक्षी सुबह की ठण्ड के गीत गाने निकल आये । कल देखा कि रामगंगा नदी में कई सारसों के जोड़े तैर रहे हैं ।काफी समय बाद इन मेहमान पक्षियों को इस नदी में देख कर बहुत ख़ुशी हुई । कल दिन भर बहुत व्यस्त रहा । एक बुकिंग छोड़ने जौरासी गया था । रस्ते में एक्सीलेरेटर का तार टूट गया फिर जुगाड़ कर तार जोड़ा तब वापस मासी आया मौसम सुहावना कहूँ या डरावना कहूँ क्योंकि ऐसे मौसम को देख कर मैं तो खुश हो सकता हूँ लेकिन किसान तो परेशान हैं । उन्हें अपना भविष्य अंधकारमय दिखाई दे रहा है। इस महंगाई के दौर में अगर किसान के खेत सूख जाएँ तो किसान तो बेचारे मारे गए । एक एक मंत्री/ उद्योगपति /तस्कर/हीरो करोड़ों अरबों रुपयों का मालिक है । उन्हें क्या परवाह कि वारिश हो या न हो । किसान की कौन सोचता है - सिर्फ किसान । पांच सितारा होटलों में रहने वाले मंत्रियों का भला समाज की चिंताओं से क्या वास्ता ? जो मंत्री समाज को कैटल क्लास की संज्ञा दे उस मंत्रीऔर उस मंत्री को समर्थन देने वाली सरकार से देश की जनता क्या उम्मीद करेगी ? और दुर्भाग्य है इस देश की जनता का कि वे फिर भी मंत्री पद पर बने हुए हैं । सरकार को जनता के हितों के विरुद्ध नहीं जाना चाहिए ।

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