गुरुवार, 25 मार्च 2021

हमारी चिंताएं

 कोरोना एक वर्ष का हो गया है।  

अब समाज  कोरोना महामारी के साथ चल रहा है या महामारी  को पीछे छोड़ते हुए आगे निकलने की कोशिश में दिख रहा है  लेकिन कोरोना के प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता है।  जीवन बाद में , धन पहले।  लेकिन अभी भी हम यह नहीं समझ पा रहे हैं कि प्राथमिकता जीवन को दें या धन को।  समाज जीने के नियम बनाता नहीं दिखा रहा। सरकार की  व्यवस्थाएं हमें स्वीकार्य नहीं।   नियम तोड़ेंगे ही।  

धन की अंधी दौड़ में हमने जीवन की स्वाभाविक राहें छोड़ दी।  हमें प्रकृति के अनुसार जीने के बजाय तय किया कि प्रकृति हमारे अनुसंधानों और आदेशों का पालन करे।  

मंगलवार, 19 जनवरी 2021

 नमस्कार ,

कोरोना से जुड़ी चिंताएं यथावत हैं. कोरोना ने बताया कि हमें जिन्दा रखने के लिए भी सरकार को कठोर निर्णय लेने पड़े। यानि कि हमें स्वयं के जीवन लिए भी विवेक नहीं है।  प्राकृतिक हितों से जुड़ी  चिंताएं भी यथावत हैं.  हम पराधीनता से अभी हाल ही में बाहर  निकले हैं. हमारे शब्द भी अभी पूरी तरह हमारे नहीं हैं। कभी कभी लगता है कि हमने सोचना भी अभी हाल ही में आरम्भ किया है। हमें कानूनों के आधीन कार्य करने की आदत है।  ज्ञान और विवेक के बगैर स्वंतत्रता कहीं ज्यादा  घातक है। 

  विश्व में युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहे।  रूस - यूक्रेन/नाटो  , हमास -  इज़राइल , हिज़्बुल्ला - इज़राईल, ईरान -इज़राईल  के सर्वनाशी युद्धों के...