शुक्रवार, 24 अक्टूबर 2014

deepawali ki hardik shubh kamanayen

नमस्कार ,
दीपावली की आप सभी को हार्दिक शुभ कामनाएं।
ईश्वर से प्रार्थना है कि सभी के जीवन में सुख और शांति हो।  क्रोध रूपी अंधकार से सब मुक्त हों। समाज हिंसा से मुक्त हो।  लोग निर्भय हों। तनाव से मुक्त हों।
सबके जीवन में प्रेम के प्रकाश का उदय हो.
स्वस्थ समाज ही धन -धान्य का आनंद ले सकता है।

दीपावली की शुभ कामनाओं के साथ ही इंगित करूँगा कि  दीपावली के दिन हम पूरे  भारत में सबसे अधिक प्रदूषण  फैलाते हैं. उसमें सबसे खतरनाक वायु प्रदूषण  है. इस समय हमें हवा,पानी और मिट्टी बचाने की जरूरत  है। प्रदूषण रोकने के लिए एक विशाल जन क्रांति की जरुरत है.
एक ताकतवर संकल्प की जरुरत है.
प्रदूषण रोकने का काम सरकार पर नहीं छोड़ा जा सकता है। क्योंकि सरकार के कई हित  हैं जो प्रदूषण रोकने से  प्रभावित हो सकते हैं. यदि ऐसा नहीं होता तो नदियां कई साल पहले प्रदूषण मुक्त हो चुकी होती। दिल्ली का वातावरण कई साल पहले स्वच्छ हो गया होता।
आवश्यकता जन  संकल्प की है. 

मंगलवार, 14 अक्टूबर 2014

 नमस्कार ,सज्जनो
अचानक ठण्ड ने दस्तक दी , सुबह नींद से जागा तो देखा की बाहर बारिश खड़ी थी।
यह हुद हुद तूफ़ान  के प्रभाव की बारिश  थी।  जो दिन भर लगी रही। दिन भर खूब भीगा।
ऐसा मौसम तो कवियों का मौसम होता है. या फिर प्रेमियों का।
मैं कमरे के अंदर बैठा ब्लॉग लिख रहा हूँ और बाहर तेज बारिश  और  छत से गिराने वाले पानी की आवाज आ रही है। यह मौसम हमारे लिए मजेदार हो सकता है लेकिन सबके लिए नहीं ,अचानक आये हुए मेहमान की तरह है यह बारिश। लेकिन एक बात  तो है कि यह बारिश चातुर्मास में हुई कम बारिश की पूर्ति कर देगी।
कहीं किसान खुश हैं तो कहीं परेशान।
किसानों के हाथ अचानक थम गए हैं। उनके पास चर्चाओं के लिए वक्त निकल आया है।


कभी -कभी लगता है कि हम आदमी होना भूलते जा रहे हैं।
हम रूपया हो रहे हैं। और समझने लगते हैं कि दूसरे लोग भी रूपया बन गये हैं। यह पूरी पृथ्वी रूपया होती जा रही है।  मिट्टी रूपया। पेड़ रूपया ,पानी रूपया,हवा रूपया, खून रूपया, आग रूपया,औरत रूपया ,बच्चा रूपया , इस प्रकृति की हर चीज रुपये में तब्दील होती दिख रही है।
कम  से कम  हमें यह प्रयास तो करना ही चाहिए कि हम आदमी को रूपया होने से बचाएं। खुद रूपया होने से बचें। 

रविवार, 12 अक्टूबर 2014

नमस्कार मित्रो ,
आज कई दिनों बाद अपने ब्लॉग पर बैठा हूँ।  इस बीच  कभी व्यस्तता से अवसर मिला तो जो कुछ लिखा वह अपनी डायरी में दर्ज कर लिया। मेरा नया कविता संग्रह "सरहद पार की धूप '" आधारशिला प्रकाशन हल्द्वानी से प्रकाशित होने वाला है. तथा एक नए संग्रह पर कार्य कर रहा हूँ।
भारत को नोबल पुरस्कार मिलाने पर ख़ुशी हुई। साथ ही पाकिस्तान को भी नोबल पुरस्कार मिलाने पर ख़ुशी हुई. विशेषतः ख़ुशी इस लिए हुई कि  ये पुरस्कार मानवता के मार्ग को प्रस्शत करेंगे। ये अहिंसा के मार्ग को प्रस्शत करेंगे.
चूँकि आज इतवार है इस लिए सारा दिन घर पर बच्चों के साथ बीता। अपना काम भी करता रहा और बच्चों के साथ बातें भी करता रहा।
एक चक्कर बाजार घूमने निकला दोस्तों से मिला।  

  विश्व में युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहे।  रूस - यूक्रेन/नाटो  , हमास -  इज़राइल , हिज़्बुल्ला - इज़राईल, ईरान -इज़राईल  के सर्वनाशी युद्धों के...