सोमवार, 10 दिसंबर 2012

intajaar

ऊफ ! पांच महीने  का विराम .
इन पांच महीनों में समय काफी आगे निकल गया . और मैं वहीं का वहीँ  बैठा रहा जैसे कुछ लिखने के लिए  किसी का इंतज़ार कर रहा हूँ . और वह अभी भी नहीं आया  तो मुझे लगा क़ि अब आगे बढना चाहिए . अक्सर जब हम चल रहे होते हैं तो चलते चले जाने की धुमें  मीलों का सफ़र तय कर लेते हैं . अनावश्यक इंतज़ार हमें रोक लेता है थक कर विराम करें वह अलग बात है
वहां हम उर्जा लेते हैं . जबकि अनावश्यक इंतजार  हमें मानसिक तौर पर थका देता है। फिर हम सोचते हैं कि  फिजूल में रुके  ,चलते गए होते तो अभी तक काफी आगे निकल गए होते .

एक पल के लिए तो मुझे लगा कि  मैं लिखना ही भूल गया हूँ . लेकिन फिर लिखना शुरू किया तो लिखता चला गया .
समझ नहीं आया कि मैं इंतजार किसका कर रहा था . मैंने कई छोटी -छोटी चीजें  छोड़ दी , और वे काफी आगे निकल गई  . अब उन्हें लिखने का कोई औचत्य नहीं बनता . जो पीछे छूट गई उन्हें भी पकड़ने की कोशिश बेकार है। बस ! यहीं से आगे को लिखते चलो .

  विश्व में युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहे।  रूस - यूक्रेन/नाटो  , हमास -  इज़राइल , हिज़्बुल्ला - इज़राईल, ईरान -इज़राईल  के सर्वनाशी युद्धों के...