कभी कभी दिन की शुरुआत ही खराब होती है . वह पूरा दिन ही अपनी पटरी से उतर जाता है .
अपने कार्यक्रम मैं अनावश्यक तबदीली नहीं करनी चाहिए . यह सब इसलिए लिख रहा हूँ कि आज पूरा दिन अव्यस्था की भेंट चढ़ गया . दिन भर परेशान रहा सो अलग . खैर छोडो यह सब .
चुनाव प्रचार ने दिमाग खराब कर रखा है . लोग घेर लेते हैं कि क्या करें ?
मैं क्या कहूँ ? कि किसे वोट करें और किसे न करें . यह लोगों का अपना अधिकार क्षेत्र है . मैं तो इतना ही कहूँगा कि जो योग्य हो उसे वोट करें . खुद बिकें नहीं . अपने विवेक का प्रयोग करें . यही समय है जब हम पांच सालों के लिए लोक तंत्र की व्यस्था किसी को सौंपते है .
सुबह एक बार लग रहा था कि आज बारिश होगी . लेकिन दिन में बादल छंट गए . और इस ठण्ड में बारिश का आनंद लेने से वंचित रह गया . शाम ठण्ड बढ़ गयी . अंगीठी जलाई .आग ताप कर ठण्ड दूर की.
बारिश जम कर होनी चाहिए थी . लेकिन नहीं हुई यह चिंता का विषय है . इस समय बारिश का न होना गर्मियों में पानी का संकट पैदा कर देगा . देख रहा हूँ कि गधेरों से पानी गायब हो गया है .
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