मंगलवार, 22 फ़रवरी 2011

शब्दों की माला

खेतों से गायब होने लगे हैं सरसों के बसंती फूल।
लेकिन जंगलों में मेहल, कनेर ,बुरांश ,पीहुली और भी कई तरह के फूल खिले हुए हैं । जंगलों में इस तैयारीको देख कर लगता है कोई परी इस धरती पर उतरने वाली है ।
या मेरी प्रेमिका ने यह सब सजा कर रखा है ।
बहर हाल यह कुछ भी हो , मैं तो मंत्र मुग्ध हो गया हूँ ।


शब्दों की माला गूँथ रहा हूँ । उसी के लिए
जिसने मेरे लिए जंगल सजाया ।
मुझे स्वप्न दिए । मुझे रंग दिए और प्रेम दिया।
जिसका कोई ओर न छोर
फूलों में रंग और सुगंध की तरह ही है जो मेरे भीतर ।

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