सुबह से लेकर दिन ढलने तक की दिनचर्या एक कहानी बन चुकी होती है । अपनी कहानी । जिसे देख भी सकते हैं ,सुन भी सकते हैं दूसरों को सुना भी सकते हैं , पढ़ भी सकते हैं .विश्लेषण भी कर सकते हैं । पर उस कहानी को सम्पादित कर उसमें कोई बदलाव नहीं कर सकते हैं । उस कहानी कोई री -टेक नहीं है। किसी को कुछ कह दिया तो कह दिया । रोटी खाई तो खाई । नहीं खाई तो नहीं खाई । हारे तो हारे ,जीते तो जीते । एक अंश मात्र भी बदलाव की संभावना नहीं ।
अपनी कहानी का एक पात्र हूँ । और एक रस्सी की तरह बहुत सारी चीजों को अपने इर्द-गिर्द लपेटते हुए कई पात्रों को अपने साथ जोड़ते हुए
सब लोगों के बीच खड़ा हूँ या साथ चल रहा हूँ ।
हर रोज अपनी कहानी खुद ही पढ़नी होती है । बिलकुल अकेले ।
रोज की तरह सुबह उठा , पत्नी चाय बनाकर ले आयी । बाहर सुबह की ठंडी बयार में बैठ कर चाय पी । और फिर अपने रोजमर्रा के कामों में जुट गया । एक -एक पल एक कहानी को रचते हुए ।
चारों ओर की सुखद हरियाली ,बादलों से भरा नीला आकाश । और मैं अपने सपनों को तराशते हुए आगे बढ़ते हुए आज की कहानी लिखने बैठा हूँ ।- काश! मौसम का यह रूप हमेशा साथ रहता .
रात स्वप्न अपनी कहानी लिखेंगे ।
कभी -कभी स्वप्न भी बहुत भयानक कहानी रच डालते हैं । बावजूद इसके स्वप्नों की कहानी भी होती बड़ी दिलचस्प है। और हम बहुत कुछ स्वप्नों की कथा में भी छुपाते हैं । खुद अपनी पत्नी से भी । जो कि हमारी कथा की सबसे पहली पात्र है .
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
विश्व में युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहे। रूस - यूक्रेन/नाटो , हमास - इज़राइल , हिज़्बुल्ला - इज़राईल, ईरान -इज़राईल के सर्वनाशी युद्धों के...
-
आज बुरी तरह थक गया हूँ । या बुखार आने वाला है । लेकिन सोऊंगा तो ब्लॉग लिखकर ही । कल मैंने लिखा था कि किसान को आर्थिक सुरक्षा देनी होगी । तभी...
-
महंगाई भले ही अरबपति मुख्यमंत्रियों /करोडपति मंत्रियों /उद्योगपतियों /नौकरशाहों /बड़े व्यापारियों के लिए कोई मायने नहीं रखती हो लेकिन बेरोज...
-
बारिश की कमी से किसानों की परेशानी साफ़ दिखने लगी है. यानि फसल तो प्रभावित होगी ही साथ ही पानी की भी किल्लत बनी रहेगी। किसान यानि पहाड़ी ग्...
aap se request hai ki kuch aap hamare gaon ke bare main likhen
जवाब देंहटाएं