शनिवार । दिन बहुत गर्म था ।
रूटीन के काम निबटाये . कुछ पुराने कागज पत्र देखे । कुछ बेकार -से कागज जलाये ।
लगा की यादों को जला रहा हूँ । लेकिन यादें हैं कि और ताजा होती जाती हैं
फिर सोचा कि यादों को इस तरह नहीं जलाना चाहिए । उन्हें सहेज लेना ही बेहतर होगा .चाहे मन के किसी कोने में । कमरे की दीवारों में यादों के लिए भी जगह होनी चाहिए ।
कभी- कभी अंतर्यात्रा के समय मन की यादों की गेलरी से होते हुए जाना काफी सुकून भरा लगता है । उस गेलरी में एक विराट केनवास है ।जिसे देखते हुए निकलना बहुत आश्चर्य भरा लगता है । यकीन नहीं होता है कि इस केनवास में चित्रित चित्र स्वयं की जिंदगी के हिस्सा थे । अच्छे या बुरे - सुखद या दुखद , यह बात अलग है ।
अंतर्यात्रा आत्म सुधार के लिए का एक अवसर भी है । आत्म समालोचना भी है। कि हम कहाँ थे और कहाँ हैं ।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
विश्व में युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहे। रूस - यूक्रेन/नाटो , हमास - इज़राइल , हिज़्बुल्ला - इज़राईल, ईरान -इज़राईल के सर्वनाशी युद्धों के...
-
आज बुरी तरह थक गया हूँ । या बुखार आने वाला है । लेकिन सोऊंगा तो ब्लॉग लिखकर ही । कल मैंने लिखा था कि किसान को आर्थिक सुरक्षा देनी होगी । तभी...
-
महंगाई भले ही अरबपति मुख्यमंत्रियों /करोडपति मंत्रियों /उद्योगपतियों /नौकरशाहों /बड़े व्यापारियों के लिए कोई मायने नहीं रखती हो लेकिन बेरोज...
-
बारिश की कमी से किसानों की परेशानी साफ़ दिखने लगी है. यानि फसल तो प्रभावित होगी ही साथ ही पानी की भी किल्लत बनी रहेगी। किसान यानि पहाड़ी ग्...
शानदार पोस्ट
जवाब देंहटाएंविचारणीय!
जवाब देंहटाएं