शुक्रवार, 2 जुलाई 2010

आदमी कितना असहाय है


दिन भर कई काम किये । कभी इधर तो कभी उधर । बारिश की इंतजार में बीता दिन । मौसम अपने समय से काम न करे तो एक भयंकर असंतुलन पैदा हो जाता है । लोग परेशान होने लगते हैं । ईश्वर पर से भरोसा उठ भी जाता है और ईश्वर पर भरोसा करने के आलावा कोई रास्ता भी नहीं दीखता । आदमी कितना असहाय है इस वैज्ञानिक युग में । आज जबकि विज्ञानं ईश्वर की हर रचना को चुनौती दे रहा है ।
टी वी पर बाजार में बिक रहे नकली मिलावटी सामान/फलों के बारे में देख रहा था । यह जहर पूरे समाज को कमजोर /बीमार कर देगा .हमें घरेलू जरुरत की चीजें सीधे किसानों से खरीदने चाहिए । या बाजार सेकच्चा माल खरीद कर घर में तैयार करनी चाहिए ,

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