शुक्रवार, 25 जून 2010


शनिवार .पूरे हफ्ते के कामों के पुनरावलोकन का दिन । कोई विराम नहीं । काफी दिनों से अपनी कविताओं व आत्मकथा को सम्पादित व व्यस्थित करने की सोच रहा हूँ लेकिन इसके लिए समय प्रबंधन नहीं कर पा रहा हूँ । लगनों के सीजन के कारण समय नहीं निकाल पा रहाहूँ । पिछले महीने अपनी पुरानी सुमो बेचकर नयी स्पार्क कार लाया हूँ इससे थोड़ा व्यस्तता बढ़ गई है । और अव्यस्थित भी हो गया हूँ
मौसम में एक खुशनुमा परिवर्तन हुआ है । वारिश ने धरती के साथ-साथ लोगों के चहेरे के रंग भी बदल दिए हैं । खेतों में नयी रंगत लौट आयी है । और लोग खुश हैं कि अब कुछ होगा .खेतों में मेला लगा हुआ है । लगता है कि यह समय किसानों का ही है ।

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