शुक्रवार, 25 दिसंबर 2009
ठंडी सुबह की शुरुआत
कल रात इंटरनेट जल्दी चला गया था तो लिख नहीं पाया । सुबह ठण्ड के मारे और कुछ काम तो हो नहीं पाता लगता है कि हिम युग में हूँ इस ठण्ड में या तो दौड़ने निकला जा सकता है या फिर कोई मश्शकत का काम करने निकला जा सकता है ।ताकि शरीर में गर्मी का संचार हो और पसीना निकल आये ।हर रोज रात को निश्चय करके सोता हूँ कि सुबह पांच बजे उठकर घूमने जाऊंगा लेकिन सुबह उठकर देखता हूँ कि अभी तो बहुत अँधेरा है । जंगली जानवरों -सुअरों, बाघों , सियारों के घूमने का समय है । मेरे लिए ब्लॉग पर बैठ कर आराम से लिखना ही ठीक रहेगा । सोच रहा हूँ कि मई में एक पत्रिका 'सृजन सदर्भ' के नाम से प्रकाशित करूँ । इसके लिए लेखकों से रचनाएँ आमंत्रित करनी होंगी । अभी से तयारी करनी होगी । आज एक दो गावों में जाना है । एन जी ओ शुरू करने के बाद हर व्यक्ति से जुड़ने का अवसर मिला है । गावों को करीब से देखने का मौका मिला है । लोग और उनकी परेशानियों को जानने का मौका मिला है ।
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