गुरुवार, 13 अगस्त 2009

कुछ देर पहले गैरखेत से लौटा हूँ । यहाँ आकर अद्भुत शान्ति की अनुभूति होती है । सुखद एकांत मिलता है जो कि जीवन में ऊर्जा के लिए आवश्यक है सुबह पहले श्री अमर दा से गाड़ी का काम कराया श्री रमेश चंद्र चतुर्वेदी जी को गैरखेत छोड़ना था । उनके मित्र जी की कथा थी इसलिए गैरखेत गया । खाना वहीं खाया । चारों ओर की पहाडियों को देखता रहा -वाह ! आसमान में बादल होने की वजह से हिमालय की पहाडियां दिखाई नहीं दे रही थी । लेकिन रामगंगा नदी घाटीबहुत सुंदर लग रही थी । इसे पर्यटक स्थल होना ही चाहिए ।

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