रविवार, 22 अप्रैल 2012

बड़ी देर से बैठा सोच रहा था कि आज शुरू कहाँ से करूँ  ?सूर्योदय से या फिर उससे पहले .
उससे पहले का स्वप्न याद नहीं . हाँ इतना याद है कि उमा ने पहली चाय के साथ सपने से जगाया और बोली स्वप्न से जागो और हकीकत की जमीन देखो . 
एक पल के लिए मुझे लगा की यह सच कह रही है . क्योंकि शारीरिक उडान तो सिर्फ स्वप्न मैं भरी जा सकती है . जमीन पर तो सिर्फ चला जा सकता है. लेकिन यह भी सच है कि स्वप्न हकीकत की जमीन देखने के लिए भी संकेत देते हैं
मैं चाय पीकर फिर रोजमर के कामों मैं उलझ गया .
मैंने बहुधा  देखा है कि  देखे गए सपनों का कुछ न कुछ संकेत होता है .   यानि एक प्रकार से पूर्वाभास .अवचेतन  आने वाली चीजों को पहले देख लेता है 
लेकिन इस सब के लिए आत्मबल भी मजबूत चाहिए . हम देखे हुए संकेतों को समझ सकें ,उनका विश्लेषण कर आने वाली घटनाओं को देख समझ सकें . 
आत्मबल की दुर्बलता के चलते ही अक्सर हम स्वप्न को भूल जाते हैं . या उन्हें नजरअंदाज कर देते हैं . या संकेत नहीं समझ पाते हैं. 

स्वप्न बहुत महत्वपूर्ण हैं . उन्हें देखो, समझो और जानो .

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