अद्भुद रंग लेकर आया है बसन्त। खेतों ने सरसों के बसंती रंग दे दिये हैं और जंगलों ने कई प्रकार के फूलों के रंग। महल के पेड़ धवल सुमनों से लदे हुए हैं. छोटी छोटी बनस्पतियाँ अपने सम्मोहक रंग बिरंगे /सुनहरे के परिधान पहनकर आकर्षित करते हैं। आजकल सायंकालीन और प्रातः भ्रमण का अनूठा आनंद है. मन को सुखद अनुभूति होती है। कुछ पल के लिए आदमी सारे दुःख , तनाव भूल जाता है। लगता है कि इस दुनियां में प्रकृति और इसके सौंदर्य के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है. लौटते हुए एक सुखद ताजगी की अनुभूति होती है.
कुछ पलों के लिए हम प्रकृति का हिस्सा होते हैं. प्रकृति का एक - एक पौंधा चाहता है कि हम उनसे बातें करें. उनके रंगों की प्रशंसा करें.
दुनियां के तानाशाह प्रकृति से बेखबर युद्धों में व्यस्त हैं. सृजन के विपरीत युद्ध और विनाश उनकी प्राथमिकताएं हैं. और विनाशकारी युद्धों का यह दौर थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। आम आदमी के जीवन का मूल्य तानाशाहों की दृष्टि में कोई अर्थ नहीं रखता है। आम आदमी शांति चाहता है।