श्रावण मास की सुहावनी ऋतु चल रही है। अभी दो मास पहले गर्मी और वनाग्नि की घुटन से प्राणी मात्र त्रस्त थे।
वनाग्नि हर वर्ष की घटना होती जा रही है। हर वर्ष जंगलों का जलना भी हमारे जीवन के एक आवश्यक घटना क्रम की तरह बन चुका है। हर वर्ष महत्वपूर्ण जड़ीबूटियां, जंगल के छोटे छोटे पक्षी , चीटियां, कीट पतंगे स्वच्छ हवा,जंगलों की मिटटी की नमी, शीतलता सब वनाग्नि की भेंट चढ़ जाते हैं.
हम कुछ नहीं कर पाते हैं. सिर्फ दूर दूर तक जलते जंगलों को जलते देखते रहते हैं.
इस बार की बरसात भी भीषण विनाशकारी रूप में आई और यहाँ भी हम प्रकृति के इस रौद्र रूप को मात्र देखते रहे।
लेकिन यदि परमाणु यद्ध हुआ तो हम उस विनाश को भी देखते रहेंगे। यदि ये परमाणु युद्ध हमारे आसपास नहीं हुआ तो। परमाणु युद्ध का रौद्र रूप के समक्ष तो प्राकृतिक विनाश कुछ भी नहीं है.
आईये दुनियां के परमाणु संपन्न तानाशाहों से पूछें कि वे परमाणु युद्धों के बाद विश्व को कैसा देखना चाहते हैं.