नमस्कार मित्रो,
मौसम में परिवर्तन एक सुखद अनुभूति है। यह एक उत्सव है सभी प्राणियों के लिए , लेकिन हम इस उत्सव को जिस दिशा की ओर ले जा रहे हैं यह चिंता का विषय है। आज के समाज में जिन्हें हम बुद्धिजीवियों की श्रेणी में रखते हैं वे सब उसी प्रकार खामोश हैं जिस प्रकार द्रौपदी के चीर हरण में सारे पांडव और कौरव राजा और सभासद मौन थे और परिणाम सभी को मालूम है न पांडव रहे न कौरव। एक मौन ने महा विनाश को आमंत्रित किया। प्रकृति के साथ होने वाले खिलवाड़ पर हमारा मौन इस धरती से प्राणियों का अस्तित्व ही ख़त्म कर देगा।
इस समय भी सब मौन हैं। जो बोल रहे हैं वे सिर्फ पीड़ित हैं या विदुर की तरह शक्ति हीन हैं।
मौसम में परिवर्तन एक सुखद अनुभूति है। यह एक उत्सव है सभी प्राणियों के लिए , लेकिन हम इस उत्सव को जिस दिशा की ओर ले जा रहे हैं यह चिंता का विषय है। आज के समाज में जिन्हें हम बुद्धिजीवियों की श्रेणी में रखते हैं वे सब उसी प्रकार खामोश हैं जिस प्रकार द्रौपदी के चीर हरण में सारे पांडव और कौरव राजा और सभासद मौन थे और परिणाम सभी को मालूम है न पांडव रहे न कौरव। एक मौन ने महा विनाश को आमंत्रित किया। प्रकृति के साथ होने वाले खिलवाड़ पर हमारा मौन इस धरती से प्राणियों का अस्तित्व ही ख़त्म कर देगा।
इस समय भी सब मौन हैं। जो बोल रहे हैं वे सिर्फ पीड़ित हैं या विदुर की तरह शक्ति हीन हैं।