नमस्कार मित्रो ,
निजी व्यस्तता के कारण मैं इधर कई महीनों से अपने ब्लॉग पर नहीं आ पाया , आपसे कोई बात नहीं कर पाया ,
लिखना छूट जाना एक तरह से यातना के दौर से गुजरने जैसा है. लगता है कि मैं सिर्फ एक शरीर बन कर रह गया हूँ. आत्मा दूर कहीं बैठी मेरी हर हरकत पर नजर रखे हुए है. या मेरे सामने की कुर्सी पर बैठ कर मुझसे बहस कर रही है. कि प्रकृति को समझो ,अपने भीतर आत्मा के स्थान को ख़त्म मत करो , शारीरिक शुचिता को बनाये रखो. यह शरीर का एक मुख्य इंजन है. यह ईश्वर है. यह जीवन है.
लिखना भी उसी आत्म साक्षात्कार का एक मार्ग है. लिखे हुए विचार एक विराट सूर्य की किरणें हैं. जो जीवन के मार्ग का प्रकाश हैं. लिखते रहना हमारे भीतर विवेक की लौ जलाये रखने प्रयास है.
यह प्रयास बना रहे , सतत रहे। मैं और आप प्राणवान और विवेकवान आदमी बने रहने के लिए प्रयास करते रहें.
निजी व्यस्तता के कारण मैं इधर कई महीनों से अपने ब्लॉग पर नहीं आ पाया , आपसे कोई बात नहीं कर पाया ,
लिखना छूट जाना एक तरह से यातना के दौर से गुजरने जैसा है. लगता है कि मैं सिर्फ एक शरीर बन कर रह गया हूँ. आत्मा दूर कहीं बैठी मेरी हर हरकत पर नजर रखे हुए है. या मेरे सामने की कुर्सी पर बैठ कर मुझसे बहस कर रही है. कि प्रकृति को समझो ,अपने भीतर आत्मा के स्थान को ख़त्म मत करो , शारीरिक शुचिता को बनाये रखो. यह शरीर का एक मुख्य इंजन है. यह ईश्वर है. यह जीवन है.
लिखना भी उसी आत्म साक्षात्कार का एक मार्ग है. लिखे हुए विचार एक विराट सूर्य की किरणें हैं. जो जीवन के मार्ग का प्रकाश हैं. लिखते रहना हमारे भीतर विवेक की लौ जलाये रखने प्रयास है.
यह प्रयास बना रहे , सतत रहे। मैं और आप प्राणवान और विवेकवान आदमी बने रहने के लिए प्रयास करते रहें.