बुधवार, 5 अक्टूबर 2016

roshani

 नमस्कार मित्रो ,
निजी व्यस्तता के कारण  मैं इधर कई महीनों से अपने ब्लॉग पर नहीं आ पाया , आपसे कोई बात नहीं कर पाया ,
लिखना छूट जाना एक तरह से यातना के दौर से गुजरने जैसा है. लगता है कि मैं सिर्फ एक शरीर बन कर रह गया हूँ. आत्मा दूर कहीं बैठी मेरी हर हरकत पर नजर रखे हुए है. या मेरे सामने की कुर्सी पर बैठ कर मुझसे बहस कर रही है. कि प्रकृति को समझो ,अपने  भीतर आत्मा के स्थान को ख़त्म मत करो , शारीरिक शुचिता को बनाये रखो.  यह शरीर का एक मुख्य इंजन है. यह ईश्वर है. यह जीवन है.

लिखना भी उसी आत्म साक्षात्कार का  एक मार्ग है. लिखे हुए विचार  एक विराट सूर्य की किरणें हैं. जो जीवन के मार्ग का प्रकाश  हैं. लिखते  रहना  हमारे भीतर विवेक की लौ जलाये रखने  प्रयास है.


यह प्रयास बना रहे , सतत रहे।  मैं और आप प्राणवान और विवेकवान आदमी  बने रहने के लिए प्रयास करते रहें. 

सोमवार, 4 अप्रैल 2016

Suprabhat

नमस्कार ,
 मित्रो उत्तराखण्ड में हाल के दिनों  में जो राजनैतिक अस्थिरता हुई वह  जन हितों के लिए दुर्भाग्य पूर्ण है। राजनीति निजी  स्वार्थों का अड्डा बन गई है  और जन हितों के मूल उद्देश्य गायब हैं ,ऐसी स्थिति में जनता  निश्चय ही नए विकल्पों की तलाश करेगी। असहमतियां विधान सभा के पटल पर पहले कभी नहीं आई ,क्यों? लोकतंत्र बाधित हुआ  यह सब अचानक तो नहीं हुआ होगा, भीतर  द्वन्द यदि नैतिक या लोक हितों के लिए होता तो  वह   पुरजोर विरोध के साथ विधान सभा  गूंजता। सरकार में यदि गलत हो रहा था तो वह विधान सभा में गूंजता , सड़क पर गूंजता .आखिर इस तरह की अस्थिरता पैदा कर जनता और लोकतंत्र और लोकतंत्र के साथ मजाक हुआ है. सरकार कोई भी बने मजाक तो लोक तंत्र  का ही बना.  

  विश्व में युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहे।  रूस - यूक्रेन/नाटो  , हमास -  इज़राइल , हिज़्बुल्ला - इज़राईल, ईरान -इज़राईल  के सर्वनाशी युद्धों के...