नमस्कार मित्रो ,
इस बारिश ने धरती का रंग बदल दिया है. मनोहर हरितिम छटा लौट आई है. तपिश कम हुई है, हाफंते परेशान से पक्षी खुश दिख रहे हैं.खेतों से रात में मेढंकों के टर्राने की आवाज सुनाई देने लगी है । सांप धरती से बाहर निकलने लगे हैं , सब्जियों की बेलों में फूल निकल आये हैं ,चातुर्मास का महोत्सव आरम्भ हो गया है.
और सभी प्राणी बारिश में भीग कर उत्सव का आनंद ले रहे हैं.
हर तरफ एक नई ऊर्जा का संचार दिखाई पड़ रहा है. एक-एक पौंध ,एक-एक पत्ता, एक-एक कोंपल से ख़ुशी की अभिव्यक्ति झलक रही है.
आओ इस उत्सव का आनंद लें.
इस बारिश ने धरती का रंग बदल दिया है. मनोहर हरितिम छटा लौट आई है. तपिश कम हुई है, हाफंते परेशान से पक्षी खुश दिख रहे हैं.खेतों से रात में मेढंकों के टर्राने की आवाज सुनाई देने लगी है । सांप धरती से बाहर निकलने लगे हैं , सब्जियों की बेलों में फूल निकल आये हैं ,चातुर्मास का महोत्सव आरम्भ हो गया है.
और सभी प्राणी बारिश में भीग कर उत्सव का आनंद ले रहे हैं.
हर तरफ एक नई ऊर्जा का संचार दिखाई पड़ रहा है. एक-एक पौंध ,एक-एक पत्ता, एक-एक कोंपल से ख़ुशी की अभिव्यक्ति झलक रही है.
आओ इस उत्सव का आनंद लें.