शनिवार, 27 मार्च 2010
दिन भर बहुत व्यस्त रहा । एक नया ब्लॉग जागरण जंक्शन पर बनाया है । उसे सुबह लिखता हूँ । और इस ब्लॉग को शाम को लिखता हूँ । दिन में अन्य कार्य । गर्मी जल्दी शुरू हो गई है । दिन में देख रहा था कि रामगंगा नदी में पानी अब एक घराट के बराबर रह गया है । यह चिंता का विषय है । कि इस नदी में पानी कैसे बढेगा या इस नदी के पानी का विकल्प क्या होगा । यदि जल्द वर्षा नहीं हुई तो पीने के पानी का विकल्प क्या होगा । पानी यहाँ अब एक समस्या बनता जा रहा है । क्योंकि वारिश कम होने के कारण नया पानी नहीं मिल पायेगा जिससे कि श्रोत फूट पड़ते और चातुर्मास तक पानी मिल जाता । पिछली बार चातुर्मास में भी वारिश बहुत कम हुई थी जिस कारण गधेरों में पानी नहीं रहा । रही- सही कसर जंगलों में लगाने वाली आग ने पूरी कर दी । पहाड़ों के लिए अलग जल संरक्षण नीति बना कर तुरंत लागू करनी चाहिए ।
मंगलवार, 23 मार्च 2010
अनुभव
कई दिन हो गए अपने ब्लॉग पर नहीं बैठे .लगा कि कुछ छूट गया । दिन में कई तरह के विचार आते जिन्हें तुरंत नोट कर लेना चाहिए था लेकिन जो छूट गया वो छूट गया । उसे उसी रूप में सहेजना फिर बहुत मुश्किल होता है । जैसे हम कई बार धूप से इतने प्रभावित हो जाते हैं कि कि धूपको लिखना चाहते हैं लेकिन शाम को धूप नहीं लिखी जा सकती । अनुभव में बहुत कुछ बयां करना छूट जाता या फिर कुछ बनावटी सा बन पड़ता है ।
सोचता हूँ कि जो निकल गया उसे छोड़ दूँ लेकिन फिर भी कुछ न कुछ यादों में सिमटा रहता है और उसे लिखे बगैर चैन नहीं ।
सोचता हूँ कि जो निकल गया उसे छोड़ दूँ लेकिन फिर भी कुछ न कुछ यादों में सिमटा रहता है और उसे लिखे बगैर चैन नहीं ।
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