सोमवार, 23 नवंबर 2009
आज कई दिनों बाद अपने ब्लॉग पर बैठा हूँ । लिखने के लिए बहुत कुछ है शुरुआत हिन्दी विरोधी राज ठाकरे से करता हूँ । यह हिन्दुस्तान के विरोध की दस्तक भी हो सकती है । यानी राज ठाकरे के अलगाव वादी नीति की शुरुआत । भारतीय संसद को इस घटना को पूरी गंभीरता से लेते हुए सख्त कदम उठाना चाहिए . हिन्दी भाषियों को राज ठाकरे की इस घिनोनी हरकत का विरोध सड़क पर आकर करना चाहिए । कोई भी संभ्रांत भारतीय हिन्दी का विरोध नहीं कर सकता है ।आज राज ठाकरे ने हिन्दी का विरोध किया कल दक्षिण में कोई हिन्दी विरोधी पैदा होगा परसों उत्तर में कोई हिन्दी विरोधी पैदा होगा और सरकार ख़ामोशी से सब देखती रहेगी सरकार की यह उदासीनता उचित नहीं ।
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