दीपावली की आप सभी पाठक मित्रों को हार्दिक शुभकामनाएं
इस पावन पर्व पर आप सुख, समृद्धि, धन धान्य, वैभव, यश से परिपूर्ण हों। विश्व का कल्याण हो, विश्व में शान्ति हो ।
ऋतु एक सुहावनी करवट ले रही है। बरसात के बाद आसमान बिल्कुल प्रदुषण रहित ,साफ़- स्वच्छ होने के कारण सूर्य की किरणें गर्म लोहे की छड़ की तरह तेज और बदन को जला देने वाली पड़ रही हैं. दिन छोटे होने लगे हैं.
उत्तराखंड के पहाड़ों के गावों में खेती का काम आरम्भ हो गया है। यानि आश्विन मास लग गया है। ग्रामीण आजकल इतने व्यस्त हैं. कि बुखार और छोटी- मोटी बीमारियों की चिकित्सा आदि के लिए चिकित्सक के पास जाने का भी समय नहीं, वो तो खेत से घर और घर से खेत आने जाने में ही ठीक हो जाता है। खाने के लिए घर आने का भी समय नहीं होता है घर का एक सदस्य खाना बनाकर उनके लिए खेतों में ले जाता है। या सुबह घर से खाना बनाकर अपने साथ ले जाते हैं। किसान होना कोई आसान काम नहीं है. हमें मात्र तैयार उपज दिखती है।
कुछ ही समय पश्चात् बाजार में नई फसल की गहत, उड़द , मडुवा , झंगोरा, बाजरा, तिल, चौलाई, धान आदि आने लगेगा । फसल के साथ -साथ पूरे वर्ष भर के लिए पशुओं के लिए घास भी जमा करनी होती है। और अगली बुआई के लिए खेत भी तैयार करने होते हैं।
रोजगार के अभाव में पहाड़ों से पलायन के कारण कृषि और पशु पालन भी प्रभावित हुआ है। बच्चे न होने के कारण कई गावों में स्कूल बंद होने की स्थिति में हैं. कई गावों में पहाड़ी शैली में बने आलीशान नक्काशीदार घर खंडहर हो चुके हैं। आधे से अधिक खेत बंजर हो चुके हैं।
जो एक बार यहाँ से रोजगार के लिए पलायन कर गया वह फिर लौट कर गावं देखना भी नहीं चाहता ,या रोजगार की आपाधापी में उसे गावं के बारे में सोचने का भी समय नहीं मिल पता हो।
प्रणाम मित्रो ,
हमारे उत्तराखंड ( भारत ) में जंगलों में लगने वाली आग से वातावरण धुआं - धुआं हो रहा है। बाहर प्रचंड गर्मी है। यदि वनाग्नि नहीं लगी होती तो इतनी गर्मी नहीं पड़ती। हर वर्ष लगाने वाली इस आग ने न मालूम कितनी महत्वपूर्ण जड़ी बूटियों का वंश समाप्त हो जाता है। धरती हर वर्ष पेड़/ वनस्पतियां उगाकर धरती को हरा भरा बनाने की कोशिश करती है।
हर बरसात में वृक्षारोपण होता है और हर मई - जून में सब स्वाहा हो जाता है।
इस्राईल - हमास- ईरान , यूक्रेन - रूस , पिछले एक साल से भी अधिक समय से चल रहे हैं. धरती फाड़ी जा रही है. निर्दोष प्राणी मरे जा रहे हैं. हिंसा और विनाश का यह खेल बंद होने का नाम नहीं ले रहा है. सारे घातक और विनाशक हथियारों का प्रयोग /प्रदर्शन हो रहा है,
युद्धों की इस सनक / पागलपन में जीवन का कोई मूल्य नहीं,
यूनाइटेड नेशंस की भूमिका अभी स्पष्ट नहीं दिख रही है कि युद्ध बनाये रखना चाहता है या रोकना। युद्ध लड़ाने वालों की और है या पीड़ितों की और।
नाटो देश अपने हथियार खपाने में लगे हैं।
यह मानवीय हितों के प्रति विश्व समुदाय का स्तब्ध कर देने वाला व्यवहार है।
अँधेरे को भी अस्त होना होता है। बिलकुल दिन की मानिंद। उसकी अवधि और महत्त्व दोनों हैं। महाभारत कालीन युद्धों में भी रात को युद्ध विराम होता था। आज तो भयंकर विनाशकारी युद्ध , बमबारी रात को ही हो रही हैं,
रात एक विराम का नाम भी है जो आपके दुखों, तनावों, द्वंद्वों को अपनी ममता की छाँव देती है। सबकुछ भूलकर सो जाने को कहती है। आपकी पीड़ाएँ रात बाँट लेती है. एक सुखद सुबह के आगमन का आश्वासन देती है।
इसलिए दिनभर की थकान , ऊब निराशा, को ऊर्जावान दूसरे दिन में बदलने , जीवन में एक नए प्रकाश आगमन के लिए रात का स्वागत करें.
शांति के लिए रात का भी एक उत्सव की तरह स्वागत करें।
आपका जीवन सुखमय और लम्बा होगा।
दिन को भूल जाएँ क्योँकि वह लौटकर आनेवाला नहीं है। हाँ दिन की भूलें जरूर याद रखें। रात के अँधेरे को उन भूलों को भी मिटाने का अवसर दें। दिनभर के सारे द्वन्द्व रात को सौंप दें।
भोर एक नए समाधान के साथ जरूर आएगी।
स्वप्न देखें . अचेतन भी संकेत देता है.
विश्व में युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहे। रूस - यूक्रेन/नाटो , हमास - इज़राइल , हिज़्बुल्ला - इज़राईल, ईरान -इज़राईल के सर्वनाशी युद्धों के...